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खर्राटे रोककर मिलेगी सुकून भरी नींद

खर्राटे स्वास्थ्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। अक्सर इनसे पीछा छुड़ाने के लिए लोग तरह-तरह के जतन करते हैं लेकिन खर्राटों से राहत फिर भी नहीं मिलती। लोगों के लिए भले ही खर्राटे परेशानी हों लेकिन गैजेट उद्योग के लिए यह नया क्षेत्र है जहां वे तकनीक से लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाकर लाभ कमा सकते हैं। एप्पल वॉच और फिटबिट जैसे गैजेट इसी का उदाहरण है। शोध बताते हैं कि एक तिहाई लोग नींद से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसके अलावा नींद न आना, अस्वस्थ आहार संबंधी आदतें, तनाव और मोबाइल-लैपटॉप पर बहुत ज्यादा समय बिताना शामिल है।
लोगों की सेहत संबंधी इन परेशानियों ने गैजेट निर्माता कंपनियों को नए उपकरण और तकनीक विकसित करने के लिए प्रेरित किया है। टेस्ला कंपनी का बनाया हुआ साढ़े तीन लाख से ज्यादा कीमत वाला ‘स्मार्ट मैट्रेस’ ऐसा ही गैजेट है जो सोते समय हम पर नजर रखता है और नींद में खलल पड़ते ही मैट्रेस में बहुत ही सूक्ष्म फेरबदल कर हमें भरपूर नींद लेने में मदद करता है।
चिकित्सकों ने भी इन गैजेट्स और तकनीक को लाभदायक बताया है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के महिला अस्पताल में स्लीप क्लिनिक के निदेशक डॉक्टर रोहित बुद्धिराजा का कहना है कि नींद से जुड़ी ये तकनीक अब पहले से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचा रही हैं। तकनीक में सुधार होने के साथ ये और ज्यादा स्मार्ट होती जा रही हैं।
हालांकि ज्यादातर चिकित्सक किसी भी तरह के गैजेट और उपकरण को खरीदने की सलाह नहीं देते। वे कहते हैं कि अपनी दिनचर्या सुधारने से बेहतर कोई इलाज नहीं है। नींद न आने की सबसे बड़ी वजह हमारा स्मार्टफोन है। इसलिए शयनकक्ष में इसे हाथ न लगाएं। फिर भी गैजेट्स और तकनीक किन जगहों पर हमें अच्छी नींद दे सकती हैं आइए देखते हैं। साथ ही चिकित्सकों की ओर से इन गैजेट्स के इस्तेमाल में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जान लीजिए।
1. नींद से जुड़े आंकड़े एकत्र करने में
नींद को लेकर आम भं्राति हैं कि हमें भरपूर ८ घंटे कि नींद मिल रही है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। मार्केट में ऐसे गैजेट्स भी उपलब्ध हैं जो हमारी नींद के समय की निगरानी रखते हैं और हमें पर्याप्त नींद के लिए आंकड़ों की मदद से दिनचर्या सुधारने में मदद करते हैं। टेस्ला के स्मकार्ट गद्दे में सेंसर लगे हुए हैं जो बिस्तर पर हमारी करवटों की जांच करते हैं। इसके अलावा यह हमारी हृदय गति, श्वसन प्रक्रिया और खर्राटों पर भी नजर रखता है। अन्य ऐप की तुलना में यह हमारे सोने से जुड़े इन आंकड़ों को सीधे गूगल क्लाउड पर अपलोड करता है।
निर्माताओं का कहना है कि इस स्मार्ट मैट्रेस में एडजस्ट करने में सप्ताह भर से ज्यादा का समय लग सकता है। यह उपयोकर्ता को समय से सोने और उठने के लिए पाबंद करता है। ऐसा ही एक और गैजेट है एफडीआई से स्वीकृत वायरलैस ट्रेकर बेड डॉ. स्लीप जो टेस्ला के स्मार्ट मैट्रेस से भी ज्यादा स्मार्ट है। डाक टिकट के आकार के इस ट्रैकर को माथे पर लगाने के बाद इसमें लगे सेंसर दिमाग में चल रही हलचल को रिकॉर्ड करता है साथ ही हमारे रक्त में ऑक्सीजन बढ़ाता है। जब हम सांस रोकते हैं तो यह इसे भी ट्रैक करता है जिससे यह समझने में आसानी होती है कि हम रात में अचानक क्यों जग जाते हैं। ‘स्लीप स्कोर नाम का एक अन्य उपकरण भी है जो सोनार का उपयोग कर हमारी स्लीप स्टेज को ट्रैक करता है। इसे मोबाइल से कंट्रोल किया जा सकता है। यह हमारे शरीर की हलचल को रिकॉर्ड करता है। लेकिन इसकी खामी सह है कि हमें स्मार्टफोन अपने पास रखना होता है। हालांकि डॉक्टर कहते हैं कि इन गैजेट्स के डेटा हमेशा सही आंकड़े बताएं और उनका अनुसरण करने से हमेंं लाभ होगा यह कोई नहीं कह सकता। इसलिए बेहतर यही है कि इन महंगे उपयों की बजाय अपनी दिनचर्या सुधार कर बेहतर नींद ली जाए।
2. खर्राटे रोकने में मदद
खर्राटे रोकने का स्थायी उपाय जो भी खोजेगा वह शर्तिया अरबपति बन जाएगा क्योंकि यह दुनिया भर में नींद से जुड़ी सबसे कॉमन परेशानी है। लेकिन तब तक कुछ दूसरे उपाय हैं जिनका उपयोग कर हम खर्राटों को कुछ हद तक निपयंत्रण में रख सकते हैं। एक कंपनी ने खर्राटों से लंबे समय से पीडि़त लोगों की मदद के लिए स्लीपबड्स नाम के शोर नियंत्रक नॉइज मास्किंग हैडफोन बनाए हैं। स्मार्ट नोरा और स्मार्ट मोशन तकिया भी ऐसे ही गैजेट्स हैं जो माइक्रोफोन के जरिए खर्राटे सुनकर तकिए में लगे खास पंप और मोटर की सहायता से सिर को तकिए पर उस जगह शिफ्ट केर देते हें जहां व्यक्ति कम खर्राटे ले रहा था वह भ्ज्ञी बिना नींद खराब किए।
ऐसा ही एक अन्य उपकरण है हपनोज जो आंख और नाक पर पहने जा सकने वाले मास्क की तरह है। यह खर्राटे सुनकर हल्के कंपन से आपको करवट बदलने का संकेत देता है लेकिन अगर फिर भी खर्राटे नहीं रुकते तो यह हवा के हल्के दबाव को को नाक में पहुंचाता है ताकि श्वसन तंत्र की रुकावट दूर हो जाए और खर्राटे आने बंद हो जाएं। हालंाकि खर्राटे आने के और भी कारण हो सकते हैं इसलिए चिकित्सक की सलाह के बिना ऐसे किसी भी गैजेट का इस्तेमाल न करें।
3. आरामदायक नींद में मदद
नींद के लिए सबसे जरूरी हैं सही शयनकक्षऔर उसका माहौल। इसमें शामिल हैं कमरे का तापमान, रोशनी, आवाज और बिस्तर। वहीं कुछ कंपनियां शांत दिमाग को भी अच्छी नींद की सबसे जरूरी शर्त मानते हैं। ऑनलाइन मूवी, गेम शो, इंटरनेट सर्फिंग और सोशल मीडिया के इस जमाने में अच्छी नींद वाकई बहुत दुर्लभ हो गई है। लेकिन मेडिटेशन एप जैसे हैड स्पेस आपको इन समस्याओं से राहत दिला सकती है। डॉक्टर कहते हैं कि राम में मोबाइल की स्क्रीन की रोशनी दिमाग को सक्रिय रहने का संदेश देती है इसलिए नींद के बावजूद हमारा दिमाग सोता नहीं और नतीजे में हमें खराब नींद के कारण चिड़चिड़ापन और कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है।



Source: Health