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शिवसेना ने प्रवासियों से बनाई दूरी, अब स्थानीय लोग करेंगे उद्योग-धंधों की जरूरत पूरी

नई दिल्ली। कोरोना संकट ( Coronavirus ) के बीच महाराष्ट्र ( Maharashtra ) में एक बार फिर प्रवासी बनाम स्थानीय की सियासत तेज हो गई है। दरअसल कोरोना के बढ़ते खतरे के चलते मजदूरों का पलायन ( Migrant labour ) बदस्तूर जारी है। ऐसे में उद्योग धंधे बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी लगातार मजूदर अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं।

इससे कई राज्यों में मजदूरों का संकट भी बढ़ने लगा है। इस बीच महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ( Udhav Govt ) ने प्रवासियों को रोकने की बजाय एक बार फिर स्थानीय लोगों का नारा बुलंद किया है।

प्रवासियों के पलायन के बीच शिवसेना ( Shivsena ) प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ( CM Udhav Thackeray ) ने ऐसी रणनीति तैयार की है जिससे स्थानीय लोगों के बीच एक बार फिर रोजगार ( Employment ) की बयार आएगी। हालांकि उनकी ये कोशिश शिवसेना के प्रवासियों से परहेज को उजागर करती दिखाई दे रही है।

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महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना ने मजदूरों के पलायन के कारण आई उद्योग धंधों में आई चुनौती को अवसर के रूप में बदलने की तैयारी कर ली है। शिवसेना अब प्रवासी मजदूरों की जगह भूमिपुत्रों को काम देने के लिए तैयारियां कर रही हैं, जिसके लिए ‘भूमिपुत्र अभियान’ चलाया गया है।

शिवसेना अपने इस अभियान के जरिये उस नीति पर भी चल पड़ी है जिसकी शुरुआत कभी बाला साहब ठाकरे ने की थी। ऐसे में शिवसेना ना सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ रही है बल्कि प्रदेश में मजदूरों की कमी को भी पूरा करने में जुट गई है।

शिवसेना के कार्यकर्ताओं का मानना है कि अन्य प्रदेशों के मजदूरों के चले जाने से अब जब लॉकडाउन खुलेगा और कंपनियों, कारखानों को लोगों की जरूरत होगी तो उस जरूरत को भूमि पुत्र पूरा करेंगे।

कौन है भूमि पुत्र
भमिपुत्र यानी जिसका जन्म महाराष्ट्र का हो और वह मराठी माणूस हो।

सोलापुर से अभियान की शुरुआत
शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर के बार्शी तालुका में शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भूमि पुत्र अभियान का आगाज किया है।

ऐसे किया जा रहा प्रवासियों से परहेज
दरअसल प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री सुभाष देसाई पहले ही कह चुके हैं कि अब अन्य प्रदेश से आने वाले मजदूरों के यहां पर नौकरी से लिए सरकारी पंजीकरण कराना होगा।

इशारा साफ है कि पंजीकरण की झंझटबाजी के चलते कई मजदूर महाराष्ट्र का रुख करने से ही कतराएंगे। ऐसे में स्थानीय लोगों को तवज्जों ज्यादा मिल सकेगी।



Source: Education