शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए थाली में षट्रस जरूरी, रोगों से रखते दूर
रसायन औषधियां
हरड़, आंवला, गिलोय, अश्वगंधा, नागबला आदि रसायन औषधियां हैं। ये वयस्थापन औषधियां कहलाती हैं। इनके नियमित प्रयोग से वृद्धावस्था देरी से आती और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
जीवनीय गण औषधियां
ये जीवन के लिए जरूरी औषधियां होती हैं। इनमें गुग्गुलू, जीवन्ती, मुदगषड़र्निद्, मासषड़र्निद् और भल्लातक (भिलावा) आदि आते हैं। भल्लातक को अपने मन से नहीं लेना चाहिए। शोधन के बाद ही ये औषधियां प्रयोग की जाती हैं। सीधे खाने से ये नुकसान कर सकती हैं।
पेट की अग्नि अच्छी रखती
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पेट की अग्नि (मेटाबोलिज्म) अच्छी होनी चाहिए। अग्नि मंद होने से शरीर में व्याधियां बढऩे लगती हैं। अग्नि अच्छी रखने के लिए दीपन, पाचन व रोचन औषधियों का उपयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए। दीपन औषधियों से भूख बढ़ती है। पाचन औषधियों से पाचक रस ज्यादा मात्रा में बनता है। इससे भोजन समय से पचता है। रोचन औषधियां खाने के प्रति रुचि पैदा करती हैं। इनसे स्वाद तो बढ़ता ही है, सेहत भी अच्छी रहती है।
भोजन में शामिल करें ये षट्रस
आयुर्वेद के अनुसार षट्रस यानी छह रसों वाला भोजन करना चाहिए। इनमें मधुर (मीठा), अम्ल (खट्टा), लवण (नमकीन), कटु (चरपरा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसौला) होना चाहिए। सभी को खाने से ही शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है और बीमारियों से बचेंगे। इसलिए भोजन में सभी रसों का संतुलन के लिए कहा जाता है। दूसरी तरफ, विपरीत आहार जैसे मीठे के साथ तीखा, दूध के साथ दही, मछली और दूध, दूध के साथ नमक, ठंडे के साथ गर्म लेने से भी इम्युनिटी घटती है। इस तरह आहार न लें।
दीपन, पाचन व रोचन औषधियां
दीपन औषधियों में हींग, चित्रक, कालीमिर्च, जीरा, पिप्पली, सौंठ आते हैं। पाचन में नागर मोथा, लहसुन, पपीता और रोचन द्रव्य में कोकम या वृरक्षम्ल, अनार, नींबू, इमली, दही, छाछ आदि आता है। हींग, चित्रक पाचन और कालीमिर्च-जीरा रोचन द्रव्य का भी काम करते हैं। इन तीनों औषधियों का नियमित सेवन करने से पाचन और इम्युनिटी मजबूत होती है।
खाने के बाद न लें ठंडी चीजें
भोजन के बाद ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम, ठंडा दूध, ठंडी लस्सी, कोल्ड ड्रिंक्स आदि न लें। अग्निमंद होने से पाचन प्रक्रिया बाधित होती है। खाने के बाद मीठी चीजें ही खाएं। इससे पाचन क्रिया तेज होती है। रात में मीठा खाने से अगले दिन के लिए शरीर को ऊर्जा मिलती है।
हल्दी-धनिया ज्यादा खाएं
हल्दी, एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जिक होती है। धनिया पित्त शामक होता है। यह खाने में मिर्च-मसालों या दूसरी चीजों से पित्त और फिर एसिडिटी आदि समस्या को कम करता है। शरीर में पित्त अधिक बनने से कई तरह की परेशानी होती है। इम्युनिटी भी कम होने लगती है।
समय से व कम मात्रा में खाएं
खाना भूख से थोड़ा कम खाएं। दिन में छह बार आहार लें, जिसमें रोटी-चावल व दाल केवल लंच और डिनर में लें। बाकी समय में हैल्दी अल्पाहार लेना चाहिए। सूर्यास्त से पहले डिनर कर लेना चाहिए। खाने और सोने में तीन घंटे का अंतराल जरूरी है।
डॉ. रूपराज भारद्वाज, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर
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