तन ही नहीं, मन को भी निरोग रखता योग
योग के अनुसार, जिसका मन रोगी और कमजोर है तो उसका शरीर भी रोगी और कमजोर होगा। आयुर्वेद में दो तरह की बीमारियां होती हैं, शारीरिक (व्याधि) तथा मानसिक (आधि)। इनका आपस में संबंध है। कोविड-19 की इस महामारी का असर केवल तन ही मन पर भी पड़ रहा है। विश्व योग दिवस (21 जून) पर जानते हैं योग, कैसे तन-मन को स्वस्थ रखता है। इस वर्ष की थीम ‘घर में परिवार के साथ योग’ है।
मानसिक समस्याओं
का शरीर पर प्रभाव
तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि शरीर की मुख्य ग्रंथि है। तनाव होने पर इससे असंतुलित हार्मोन निकलने लगते हैं। इसका असर थायरॉइड ग्रंथि पर भी पड़ता है। यह मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करता है। अधिक तनाव से हृदय व पल्स की गति बढ़ जाती है। कोशिकाओं को रक्त कम मिलता है। इस कारण हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है। इसी वजह से थकान होती है। हाइपरटेंशन की समस्या हो जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी आसन
शी र्षासन, सर्वाांगासन, हलासन, भुजंगासन, जानुशीर्षासन, त्रिकोणासन, उष्ट्रासन आदि उपयोगी आसन हैं। इसके साथ नाड़ी शोधन, उज्जयी प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का नियमित अभ्यास तन व मन दोनों के लिए उपयोगी है। इनके नियमित अभ्यास करने से स्मरणशक्ति बढ़ती और याद्दाश्त में सुधार होता है।
ग्रंथियों को नियंत्रित कर स्वस्थ रखता है
शरीर में मुख्य सात हार्मोन ग्रंथियां हैं। ये सभी जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। इनमें समस्या से बीमारियां होती हैं। इनमें पिट्यूटरी, पीनियल, थायरॉइड, पैरा थायरॉइड, थायमस, पैंक्रियाज और गोनड्स (जनन ग्रंथि), इनमें से तीन मस्तिष्क, दो गले और एक पेट व एक ओवरी-टेस्टेज में होती है। योग से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।
पीनियल
यह दिमाग के मध्य में होती है और इससे मेलाटोनिन हार्मोन बनता है जो तंत्रिका तंत्र के संकेतों को नियंत्रित करता है। इसके लिए सर्वांगासन और शीर्षाशन सबसे कारगर है। इनसे नियंत्रित रहती है।
थायमस
शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हार्मोन स्रावित करती है। इसमें जो टी सेल्स होते हैं वह बाहरी संक्रमण से बचाते हैं। इसके लिए हलासन, पश्चिमोत्तानासन, योग मुद्रा और सर्वांगसन करना उपयोगी रहता है।
पिट्यूटरी
इसे पीयूष ग्रंथि भी कहते हैं। यह शरीर के विकास और भूख को प्रभावित करती है। इसकी कमी से लंबाई पूरी नहीं बढ़ती है। सर्वांगासन (आसनों का राजा है) और शीर्षासन करना चाहिए।
थायरॉइड
यह मेटाबोलिज्म (कार्बोहाइड्रेट्स, वसा और प्रोटीन का चयापचय दर) को नियंत्रित करता है। इसमें समस्या होने पर थायरॉइड होती है। हलासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन, शवासन, ग्रीवा आसन करें।
पैरा थायरॉइड
यह खून में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करता और शरीर में विटामिन डी बनाने का काम करता है। इसके लिए हलासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन, शवासन और गर्दन से जुड़े आसन करें।
पैंक्रियाज
ये इंसुलिन, ग्लूकोगोन व सोमाटोस्टाटिन जैसे जरूरी हार्मोन बनाती है। मंडूकासन, योगमुद्रा, जानुशीर्षासन, पश्चिमोतानासन आदि पैक्रियाज के अल्फा, बीटा-गामा सेल्स को नियंत्रित कर बीमारी रोकती है।
गोनड्स
यह जनन ग्रंथि है। भावना, डर, क्रोध, यौन विकास इससे प्रभावित होता है। किडनी से जुड़ी समस्याएं भी इससे जुड़ी होती हैं। इसके लिए पदमासन, सिद्धासन, उत्तानपादासन आदि करना लाभकारी है।
डॉ. नागेंद्र कुमार नीरज, योग-नेचुरोपैथी विशेषज्ञ व मुख्य चिकित्सा अधिकारी पतंजलि योगग्राम, हरिद्वार. आपकी 25 से अधिक पुस्तकें योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी पर प्रकाशित हो चुकी हैं।
Source: Health