असहनीय दर्द, डॉक्टरों ने बिना सर्जरी हड्डी के ट्यूमर से दिलाई निजात
रायपुर . राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने बिना सर्जरी के हड्डी के ट्यूमर ओस्टियोइड ओस्टियोमा का सफलतापूर्वक इलाज करते हुए 19 वर्षीय युवक को दाएं पैर के असहनीय दर्द से निजात दिलाई है। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे के नेतृत्व में रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन के जरिए न्यूनतम इनवेसिव पद्धति का उपयोग करके ट्यूमर को नष्ट किया गया। युवक डिस्जार्च होकर अपने पिता के साथ घर चला गया है।
ओस्टियोइड ओस्टियोमा का उपचार रेडियोडायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एस. बी. एस. नेताम के मार्गदर्शन एवं प्रो. डॉ. विवेक पात्रे के नेतृत्व में हड्डी रोग विभाग व एनेस्थेसिया विभाग के संयुक्त प्रयास से सफल रहा। ओस्टियोइड ओस्टियोमा एक सौम्य (नॉनकैंसरस) बोन ट्यूमर है, जो आमतौर पर शरीर की लंबी हड्डियों में विकसित होता है, जैसे फीमर (जांघ की हड्डी) और टिबिया (शिनबोन)। इसका आकार 1.5 सेंटीमीटर से कम होता है और यह बढ़ता नहीं हैं। कोशिकाओं के साथ मिलकर यह ट्यूमर के नाइडस का निर्माण करता है, जो एक्स-रे एवं सीटी-स्कैन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। प्रो. डॉ. विवेक पात्रे ने बताया कि सीटी-गाइडेड रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन में ट्यूमर वाले स्थान पर केवल एक नीडिल की नोक के बराबर छेद करके ट्यूमर को उच्च-आवृत्ति वाले विद्युत प्रवाह से नष्ट किया गया। वर्तमान में पूरे देश में ओस्टियोइड ओस्टियोमा के उपचार के लिए यही तकनीक अपनाई जा रही है।
अब तक बीमारी का कारण अज्ञात
प्रो. डॉ. विवेक पात्रे ने बताया कि ओस्टियोइड ओस्टियोमा सौम्य (नॉनकैंसरस) प्रकार के ट्यूमर होते हैं। यह ट्यूमर शरीर के किसी भी हड्डी में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर पैर की हड्डियों में पाया जाता है। कभी-कभी ये हाथ, अंगुलियों और रीढ़ की हड्डी में भी पाए जाते हैं। ओस्टियोइड ओस्टियोमा किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 4 और 25 साल की उम्र के बीच सबसे आम हैं। पुरुषों में इस ट्यूमर के होने की संभावना ज्यादा है। ये पूरे शरीर में नहीं फैलते हैं। अभी तक इसके होने का कारण ज्ञात नहीं है। इस ट्यूमर की वजह से होने वाला दर्द बहुत तीव्र और असहनीय होता है। रात में यह दर्द और बढ़ जाता है। कई बार ट्यूमर वाली जगह सूजन भी हो सकती है।
दवाइयों के साथ गुजार रहा था जीवन
कापादाह, पंडरिया निवासी पीडि़त हेमंत साहू ने बताया कि दाएं पैर के दर्द से पिछले कई सालों से परेशान था। दर्द ने पढ़ाई तक प्रभावित कर दिया था। रात में दर्द इतना असहनीय हो जाता था कि कई रात सो नहीं पाता था। अपने जीवन का सबसे अच्छा समय यानी युवावस्था को मैं दर्द निवारक दवाओं के सहारे गुजार रहा था। कई जगह इलाज कराकर थक जाने के बाद एक दिन मैंने अपने पिता से आंबेडकर अस्पताल चलने को कहा और अंतत: मेरी इस असहनीय दर्द का कारण यहां पता चला। सीटी स्कैन एवं एमआरआई में मेरे दायीं जंघा की हड्डियों (फीमर) के भीतर एक ट्यूमर का पता लगा। मेरी आंखों के सामने ही कुछ ही मिनटों में मेरा इलाज हो गया और मुझे दर्द का पता भी नहीं चला। दूसरे दिन से मुझे चलने-फिरने में कोई दिक्तत नहीं महसूस हुई।
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