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शिव पुत्र श्री गणेश हैं सर्व रोग निवारण के देव, जानें किस दिन होते हैं आसानी से प्रसन्न

गौरीपुत्र श्री गणेश को प्रथम पूज्य देव माना जाता है। श्री गणेश विघ्नों का हरण करने के साथ ही अपने भक्तों पर अपनी अपार कृपा बरसाने वाले माने जाते हैं। इसके साथ ही महादेव पुत्र गणेश सर्व रोग व समस्याओं का निवारण करने वाले देव हैं। गणेश जी के शारीरिक संरचना में भी विशेष अर्थ समाहित है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव कहा गया है।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी कार्य की शुभता व सफलता के लिए सर्वपरि गणपति जी की पूजा अर्चना करना बहुत आवश्यक है। यदि किसी कार्य की शुरुआत में इनकी आराधना की जाए तो कार्य का फल सदैव अच्छा ही होता है। रिद्धि -सिद्धि इनकी अर्धांगिनी हैं। जिनकी कृपा से व्यक्ति को धन-धान्य व विद्या का भंडार आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त होता है।

भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। इनमें अधिक विधि-विधान की भी जरूरत नहीं होती केवल मन में भाव होने मात्र से ही गणेश अपने भक्त को हर संकट से बाहर निकालते हैं और सुख-समृदि्ध का मार्ग दिखाते हैं।

वहीं सप्ताह के दिनों में बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। गणेश जी के साथ-साथ लक्ष्मी जी का भी पूजन करना चाहिए। जिससे घर में सदैव सुख-शान्ति का वास हो तथा धन-अन्न के भंडार सदैव भरे रहें।

माना जाता है कि गणेश जी की पूजा करते समय यदि बुधवार के दिन उनके विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो वह पारिवारिक खुशहाली के लिए बहुत अच्छा होता है और इससे व्यक्ति के बुद्धि, विवेक व समृद्धि में भी वृद्धि होती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए इनकी आराधना करने वाले व्यक्ति के कार्यों में कभी भी कोई बाधा नहीं आती। गणेश जी की पूजा से प्रारम्भ हुआ कार्य सदैव मंगलमय ही होता है।

गणेश गायत्री मंत्र :

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

यह गणेश गायत्री मंत्र है। इस मंत्र का प्रतिदिन शांत मन से 108 बार जप करने से गणेशजी की कृपा होती है। लगातार 11 दिन तक गणेश गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति के पूर्व कर्मो का बुरा फल खत्म होने लगता है और भाग्य उसके साथ हो जाता है।

गणेश जी की पूजा विधि…
गणेश जी की पूजा के लिए प्रातः काल उठकर स्नान आदि करना चाहिए। उनकी विधिवत पूजा करके उनकी आरती करनी चाहिए व उनके विशेष मंत्रों का जाप करना भी अच्छा रहता है। पूजा के भोग स्वरुप गणेश जी को बेसन के लड्डू जरूर अर्पण करने चाहिए। माना जाता है की बेसन के लड्डू गणेश को अत्यंत ही प्रिय होते हैं। उन्हें दूर्वा, पान का पत्ता, सुपारी भी चढ़ानी चाहिए।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बुधवार का दिन सौम्यवार के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इस दिन सम्पन्न किए गए कार्यों का फल शुभ होता है। यदि किसी व्यक्ति का बुध ग्रह कमजोर हो तो उसे इस दिन गणेश जी की पूजा जरूर करनी चाहिए इससे उसका ग्रह मजबूत होगा तथा उसे गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी। गणेश जी की आराधना से रोग प्रतिरोधक शक्ति में विकास होता है जिससे कोई भी बीमारी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं पंहुचा पाती।

तांत्रिक गणेश मंत्र :

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।

यूं तो यह एक तांत्रिक मंत्र है जिसकी साधना में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। परन्तु रोज सुबह महादेवजी, पार्वतीजी तथा गणेशजी की पूजा करने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करने व्यक्ति के समस्त सुख-दुख तुरंत खत्म होते हैं। लेकिन इस मंत्र के प्रयोग के समय व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और क्रोध, मांस, मदिरा, परस्त्री से संबंधों से दूर रहना होता है।

गणेश कुबेर मंत्र

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

यदि व्यक्ति पर अत्यन्त भारी कर्जा हो जाए, आर्थिक परेशानियां आए-दिन दुखी करने लगे। तब गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का नियमित रूप से जाप क रने से व्यक्ति का कर्जा चुकना शुरू हो जाता है तथा धन के नए स्त्रोत प्राप्त होते हैं जिनसे व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।



Source: Religion and Spirituality