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हॉस्पिटल में पड़ी है फाइल तैयार हो गई कोविड-19 से मौत की ऑडिट रिपोर्ट

भिलाई. जिला के स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 का इलाज करने जिन अस्पतालों को चिंहित किया था। वहां जो मौत हुई है, उसकी ऑडिट रिपोर्ट के लिए फाइल जांच करने तैयार रखने अस्पतालों से कहा था। इसके बाद चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर, दुर्ग ने चिकित्सक को फाइल की ऑडिट करने निजी अस्पताल भेजने की बात कही। अंत में न फाइल अस्पतालों से सीएमएचओ दफ्तर गई और न डॉक्टर वहां से निजी अस्पताल पहुंचे। फाइल अब भी तैयार निजी अस्पतालों में रखी हुई है। इस बीच आनन-फानन में मौत के कारणों की बिना फाइल देखे ही ऑडिट कर दी गई है। यह बात जब आम लोगों तक पहुंची कि फाइल अस्पतालों में रखे हैं और ऑडिट रिपोर्ट पेश कर दी गई है, तो किस तरह से कोविड-19 से हुई मौत के आकड़ों को छुपाने गोलमाल किया जा रहा है, उसको लेकर चर्चा तेज हो गई है।

निजी अस्पतालों को कहा गया तैयार रखें फाइल
सीएमएचओ, दुर्ग ने कोविड-19 का इलाज करने चिंहित करने तय किए गए निजी अस्पतालों से कहा कि वहां जितनी मौत हुई है, उसकी रिपोर्ट तैयार रखें। उन्होंने एक चिकित्सक का नाम भी बताया कि वे अस्पतालों में आकर फाइल की जांच करेंगे। इसमें मरीज की किस वजह से मौत हुई है, उसको तय किया जाएगा। इसके बाद निजी अस्पताल वालों ने फाइल तैयार किया। दो दिन बाद सीएमएचओ की ओर से निर्देश आया कि फाइल लेकर दुर्ग संबंधित ऑफिस आना है। वहां फाइल की जांच की जाएगी। इसके बाद पुन: कहा गया कि दुर्ग से चिकित्सक खुद अस्पताल आ कर फाइल की जांच करेंगे।

बिना फाइल खोले ही कर दिए ऑडिट
स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने फाइल खोला ही नहीं और ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर पेश कर दी। फाइल में मौत का कारण बंद था, जिसे देखना भी गंवारा नहीं था। यह सबकुछ तब किया जा रहा है जब कोविड-19 से जिनकी मौत हो रही है, उनको कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। अगर मुआवजा दिया जा रहा होता, तो शायत जिला से इक्का-दुक्का ही मौत कोविड-19 से हो पाती।

दूसरी बीमारी पर फोकस
जिला के स्वास्थ्य विभाग ने एक फार्मेट दिया जिसमें मौत के दौरान मरीज को किस तरह की दिक्कत थी। वह लिखकर देना था। इसमें पूरी ताकत इस बात पर लगाए हैं कि मौत की वजह मरीज की दूसरी बीमारियां रही है। मरीज की जांच रिपोर्ट में कोविड-19 पॉजिटिव आने के बाद उसे शासन से तय कोविड-19 अस्पताल में दाखिल किया गया। जहां उसका मूलरूप से कोरोना वायरस को ध्यान में रखकर ही इलाज किया गया। मरीज को दी जाने वाली दवा की लिस्ट पर नजर डालें तो साफ होता है कि कोविड-19 अस्पताल में प्राथमिकता कोरोना से संबंधित तय दवा, महंगे इजेक्शन हैं। दूसरी बीमारी होने पर कोविड केयर सेंटर में परिवार से कह दिया जाता था कि घर से दवा लाकर पहुंचा दो। इसके बाद जब मौत होने लगी तो कारण हार्ट अटैक, निमोनिया को बताया जाने लगा।

वाट्स एप में पढ़ लिए मौत का कारण
विभाग के बड़े अधिकारियों का कहना है कि जिन निजी अस्पतालों से फाइल ला नहीं सके, उसको वाट्स एप में पढ़ लिए। मरीजों की मौत का कारण वाट्स एप से देखकर तय कर दिया गया। यह सबकुछ जिला को कोविड-19 से होने वाली मौत में बेहतर रखने का प्रयास था।

छुपाया गया मौत का आकड़ा
जिला के स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 से मौत के आकड़ों को छुपाने का काम अक्टूबर 2020 के पहले सप्ताह से शुरू कर दिया था। जब मुक्तिधाम में 12 शव नगर पालिक निगम के कोविड-19 शव वाहन से लाकर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किए जा रहे थे, तब जिला प्रशासन महज 6 की मौत कोरोना से बता रहा था। यह सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा है।

वाट्सएप में ले लिए थे रिपोर्ट
चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर, दुर्ग डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर का कहना है कि निजी अस्पताल से मौत की रिपोर्ट को ऑडिट करने वाट्सएप से भी मंगवा लिए थे, कुछ ने लाकर जमा किया था। ऑडिट रिपोर्ट पेश कर दिए हैं।



Source: Education