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परिवार नियोजन शिविर में टारगेट से अधिक आ गई महिलाए,बगैर नसबंदी के घर लौटना पड़ा

अजमेर/मसूदा. अमूमन परिवार नियोजन को लेकर नसबंदी के लिए महिलाओं को बड़ी मुश्किल से राजी किया जाता रहा है। कई बार टारगेट पूरे नहीं होते। लक्ष्य से कम महिलाओं के आने से शिविर औपचारिक बनकर रह जाते हैं।

नसबंदी ऑपरेशन के लिए महिलाओं को लाने के बदले वर्कर्स को आर्थिक सहायता सहित अन्य सुविधाएं दी जा रही है। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रसाविका को भी सहायता का प्रावधान हैं। इसके बाद भी महिला ऑपरेशन कम हो पाते हैं।

अस्पताल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए

अजमेर जिले के मसूदा स्थित राजकीय अस्पताल में बुधवार को कुछ उलटा ही हुआ। यहां टारगेट से तीन गुना अधिक महिलाएं नसबंदी कराने आ पहुंची। ऐसा देख अस्पताल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। हर कोई महिलाएं कहने लगी कि पहले मेरा…पहले मेरा ऑपरेशन करो…। चिकित्सकों के मना करने पर कई महिलाएं नाराज हो गई। जो वर्कर्स को उलाहना देने लग गई। चिकित्सकों को भी भला-बुरा कहकर रोष जताया।

बाद में ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी ने आकर महिलाओं से समझाइश की। इसमें यह तय हुआ कि मूसदा और रामगढ़ में गुरुवार को शिविर लगाकर नसबंदी ऑपरेशन किए जाएंगे। तब जाकर महिलाएं घर लौटी। महिलाओं के इस तरह के रवैए से लगता है कि आबादी नियंत्रण के लिए जागरुकता आ रही है।

डेढ़ सौ महिलाएं आ पहुंची

राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय,मसूदा में हर बुधवार को नसबंदी शिविर लगाया जाता है। 2 दिसम्बर को लक्ष्य से अधिक महिलाओं के आने पर चिकित्सालय परिसर में हड़बड़ाहट रही। इस दौरान करीब डेढ़ सौ महिलाएं आ पहुंची। इनके साथ एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्मिक भी थीं। शिविर में 30 से अधिक ऑपरेशन नहीं हो सकते थे। इसलिए वंचित कई महिलाएं आवेश में आ गई।

कई जांचों के बाद ऑपरेशन संभव

नसबंदी शिविर में ऑपरेशन से पहले महिला की कई जांचें की जाती है। उसके बाद सूची तैयार कर ऑपरेशन किया जाता है। बुधवार को काफी संख्या में महिलाओं के आ जाने से उनकी जांच करने को लेकर परेशानी हुई। यदि सभी का ऑपरेशन किया जाता तो अस्पताल में संसाधन मुहैया नहीं थे। यदि कोई केस बिगड़ जाता तो अस्पताल प्रशासन की बदनामी होती। इसलिए 37 महिलाओं के ऑपरेशन किया गया। मसूदा के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रमोद शर्मा ने महिलाओं से समझाइश कर उनका गुस्सा शांत किया।



Source: Education