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दिमाग की कार्यक्षमता को घटाता है धूम्रपान, एेसे बनाएं दूरी

स्मोकिंग के दौरान निकोटीन बार-बार दिमाग में रिलीज होने वाले डोपामाइन में असंतुलन पैदा करता है। जिससे दिमाग की तंत्रिकाएं धीमा काम करती हैं। इससे अवसाद, व्यवहार में बदलाव व मानसिक विकार के लक्षण दिखते हैं। युवाओं में यह लत तेजी से लगती है।विशेषज्ञाें के अनुसार जितनी जल्दी निकाेटीन की लत काे छाेड़ा जाए उतना अच्छा हाेता है।स्मोकिंग छोड़ने के कुछ समय बाद व्यक्ति को बेचैनी, आलस, भूख न लगना, उल्टी, कमजोरी, गुस्सा, बदनदर्द और चिड़चिड़ापन जैसी समस्या होती है।लेकिन दो हफ्ते में इन लक्षणों में कमी आने लगती है।

निकोटीन छोड़ने के उपाय
मजबूत विलपावर सबसे ज्यादा फायदा करती लेकिन निकोटीन छुड़ाने वाली च्वुइंगम, स्किन पैच, इंहेलर और नेजल स्प्रे भी आजमा सकते।

उपचार
धूम्रपान छोड़ने के बाद व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर दवा देते हैं। इन्हें बिना डॉक्टरी सलाह के न लें क्योंकि इस दौरान दवा लेने के बावजूद व्यक्ति को थकान, नींद न आना, कब्ज जैसी दिक्कतें होती हैं जो कुछ दिनों में सामान्य हो जाती हैं।

टबैकम व नक्सवोमिका :
टबैकम तंबाकू से बनी है। सिगरेट छोडऩे के बाद जिन्हें कार व बस में यात्रा के दौरान उल्टी के साथ चक्कर आने, धड़कनों के अचानक बढऩे, अवसाद और दस्त की दिक्कत हो तो यह दवा देते हैं।

इग्नाटिया :
शरीर में ऐठन, बेहोशी, उदासी, गुस्सा करने, जिसने किसी घटना के बाद स्मोकिंग शुरू की हो उसे यह दवा देते हें।

लोंबेलिया :
जो लोग अस्थमा, उल्टी, चक्कर, ठंडा पसीना व अधिक लार आदि की समस्या से पीडि़त हैं उन्हें यह दवा देते हैं।

कैल्डियम सेगुइनम :
जिनमें अधिक बेचैनी के साथ अस्थमा, मिचली, चक्कर आने, सिरदर्द, अवसाद, शोर के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण हों उन्हें यह दवा देते हैं।



Source: Health

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