सरकारी मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग में मिलेगा आईएमए को जगह
श्रीगंगानगर. प्रस्तावित सरकारी मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए आईएमए भवन तोडऩे के एवज में इसी कॉलेज में एक मंजिल पर आईएमए को स्थान दिया जाएगा। आईएमए भवन को नहीं तोडऩे के संबंध में कोर्ट में दायर याचिका से जिला प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने आईएमए के साथ वार्ता का दौर शुरू कर दिया है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन भवानी सिंह पंवार ने आईएएम के पदाधिकारियों से वार्ता की। इस वार्ता में आईएमए के कई पदाधिकारी मौजूद थे। एडीएम प्रशासन का कहना था कि सरकार की मंशा सरकारी मेडिकल कॉलेज बनाने की है। इस बहुमंजिला कॉलेज भवन में एक स्थान आईएमए के लिए आरक्षित किया जाएगा।
उन्हेांने दावा किया कि आईएमए को इस बात के लिए आश्वास्त किया है कि जैसे ही यह भवन तैयार होगा तब आईएमए भवन को वहां शि$फट किया जाएगा। मौजूदा भवन को तोड़कर वहां कॉलेज भवन कानिर्माण जरूरी है।
इधर, कोर्ट में आईएमए की ओर से आईएमए भवन को नहीं तोडऩे के संबंध में दायर याचिका में सुनवाई का दौर शुक्रवार को भी चला। कोर्ट में जिला प्रशासन की ओर से भी पक्ष रखा गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.़संदीप चौहान ने सिविल न्यायाधीश अदालत में जिला कलक्टर और आरएसआरडीसी लिमिटेड के परियोजना निदेशक के खिलाफ याचिका दायर कर आईएमए भवन को नहीं तोडऩे और छह साल पहले हुए समझौते के अनुरुप नया भूखंड उपलब्ध कराने की गुहार की है।
आईएमए अध्यक्ष का कहना था कि राजकीय जिला चिकित्सालय के निर्माण के लिए तब गठित ट्रस्ट के अध्यक्ष जिला कलक्टर के समक्ष आईएमए ने अपना भवन निर्माण के लिए १४ मार्च १९८९ को प्रार्थना पत्र पेश किया था। २७ मार्च १९८९ को स्वीकृति लेकर आईएमए का नया भवन तैयार किया गया था। अब पता चला है कि चिकित्सालय परिसर में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज का निर्माण होने वाला है, इस कॉलेज में आईएमए भवन को ध्वंस्त कर उसकी भूमि को मिलाए जाने की आंशका है।
वर्ष २०१५ में भी इस कॉलेज निर्माण में आईएमए भवन को तोडऩे की बात कही थी, तब कोर्ट में स्टे याचिका दायर की थी। लेकिन दानदाता बीडी अग्रवाल ने १२ दिसम्बर २०१५ को समझौता किया कि उनकी नाथांवाला में राजस्थान पब्लिक स्कूल के पास दो बीघा भूमि में यह भवन शिफ्ट कर दिया जाएगा।
तब तक भवन को तोड़ा नहीं जाएगा। लेकिन समझौते के बावजूद अब तक कोई भूमि आईएमए को उपलब्ध नहीं कराई है। अब फिर से इस भवन को तोडऩे की आंशकाएं बढ़ गई है। अधिवक्ता कुक्कड़ ने बताया कि कोर्ट से इस भवन को नहीं तोडऩे और वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने के लिए स्टे मांगा गया है। इस पर अब सुनवाई का दौर शुक्रवार को भी जारी रहा।
ज्ञात रहे कि राजकीय जिला चिकित्सालय की भूमि पर प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज निर्माण से पहले नोडल एजेंसी आरएसआरडीसी ने नगर परिषद की ओर से बनी नंदीशाला और आईएमए भवन भूमि को शामिल होने का प्रस्ताव तैयार किया है। नंदीशाला को तोड़ दिया गया है।
इस नंदीशाला को हटाने के बाद अब आईएमए भवन को साफ करने के कदम पर आईएमए ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इस आईएमए भवन को अन्य जगह शिफ्ट करने के लिए जिला प्रशासन ने भूखंड देने की बात कही है लेकिन यह दावा सिर्फ मौखिक किया जा रहा है। एेसे में आईएमए ने अब लिखित में भूखंड देने और वहां भवन निर्माण करने के उपरांत ही आईएमए के मौजूदा भवन को नहीं तोडऩे की चेतावनी भी दी है।
Source: Education