Astrology: कुंडली का अष्टम भाव खोलता है कौन से राज?
कुंडली का वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है। जन्म कुंडली या जन्मपत्री किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय आकाश मंडल में उदित नक्षत्र, राशि और ग्रहों की स्थिति का वर्णन है। किसी भी जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं। इनमे सभी भाव भाव का अपना अपना महत्व होता है। जानकारों के ज्योतिष एक अद्भुत विज्ञान है और इसमें जन्म पूर्व से लेकर मृत्यु के बाद तक की संपूर्ण बातें ज्ञात की जा सकती हैं।
वही कुंडली में अष्टम भाव को अत्यंत खास और गोपनीय मन जाता है, क्योंकि ये ही वो भाव है जो आपकी आयु को दर्शाता है, जिस कारण इसे आयु भाव या मृत्यु का भाव भी कहते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मनुष्य में सबसे ज्यादा अपनी मृत्यु को लेकर भय में रहता है। उसे अपने जीवन से ज्यादा मृत्यु की चिंता होती है। पूरे जीवन उसे यही डर सताता रहता है कि मेरी मृत्यु कहां, कैसे और किन परिस्थितियों में होगी।
ऐसे में वैदिक ज्योतिष में मनुष्य की जन्मकुंडली के अष्टम भाव में स्थिति राशि, ग्रह, ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि संबंध के आधार पर आसानी से ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति मृत्यु कब और कहां होगी। आयु या मृत्यु के संदर्भ में अष्टम भाव का विचार करने के साथ अन्य शुभाशुभ ग्रहों और ग्रह युतियों का संबंध भी देखा जाता है।
अष्टम भाव में स्थित राशि और ग्रह के अनुसार : किस वस्तु से होगी मृत्यु…
: अष्टम भाव में मंगल हो तो अस्त्र-शस्त्र, चाकू, छुरी से कटने से मृत्यु होती है। किसी आकस्मिक दुर्घटना में शरीर में अनेक कट लगने से मृत्यु हो सकती है।
: अष्टम भाव में बृहस्पति होने पर जातक की मृत्यु अजीर्ण, अपच, पेट रोगों से होती है। फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है।
: अष्टम भाव में शुक्र हो तो जातक की मृत्यु भूख से होती है। अर्थात् किसी रोग के कारण जातक कुछ खा न पाए या समय पर कुछ खाने को न मिले तो मृत्यु हो सकती है।
: जन्मकुंडली के अष्टम भाव में सूर्य हो तो जातक की मृत्यु अग्नि से होती है। यह अग्नि किसी भी प्रकार की हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से, पेट्रोल-डीजल, गैस, वाहन या अन्य सभी प्रकार की अग्नि।
: यदि राहु केतु समेत अनेक ग्रह अष्टम में हो तो जो ग्रह सबसे ज्यादा बली होता है, उसी के अनुसार मृत्यु समझना चाहिए।
: अष्टम भाव में चंद्र हो तो जातक की मृत्यु जल से होती है। नदी, तालाब, समुद्र, कुएं, बावड़ी में डूबने से। जल जनित रोगों आदि से मृत्यु होती है।
: अष्टम भाव में बुध हो तो जातक की मृत्यु किसी प्रकार के ज्वर, बुखार, संक्रमण, वायरस, बैक्टीरिया आदि से हो सकती है।
: जन्मकुंडली में अष्टमस्थ शनि हो तो जातक की मृत्यु प्यास या पानी की कमी से होती है। ऐसे जातक को किडनी रोग या जल की कमी से होने वाले रोगों के कारण मृत्यु होती है।
कहां होगी मृत्यु?
जानकारों के अनुसार अष्टम भाव को देखकर यह भी ज्ञात किया जा सकता है मृत्यु कहां होगी…
: जातक की जन्मकुंडली के अष्टम भाव में चर राशियां मेष, कर्क, तुला, मकर हो तो जातक की मृत्यु घर से दूर या दूसरे शहर या विदेश में होती है।
: अष्टम भाव में स्थिर राशियां वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ हो तो जातक की मृत्यु अपने ही घर में होती है।
: अष्टम भाव में द्विस्वभाव राशियां मिथुन, कन्या, धनु, मीन हो तो जातक की मृत्यु घर से बाहर मार्ग में होती है।
Source: Religion and Spirituality