गांव की गलियों में खेलने वाले बेटे बने फौजी, माताओं ने माथा चूमकर नम आंखों से देश की रक्षा के लिए किया विदा
बालोद. जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम चिचबोड़ में एक ही गांव के तीन और बालोद विकासखंड के ग्राम खल्लारी के 6 युवाओं का सीआरपीएफ में चयन हुआ है। रविवार को ग्राम चिचबोड़ में परिजनों ने पूरे सम्मान के साथ गांव के तीनों लाडले बेटों को देश की रक्षा करने भेजा। देश सेवा के लिए जा रहे इन जवानों की माताओं व परिजनों ने तिलक, फूल-हार से सजाकर जब इन जवानों की आरती उतारी तो घर से विदाई के दौरान सबकी आंखें नम हो गई। इन जवानों की माताओं ने मुंह मीठा कराकर देश की सुरक्षा का संकल्प दिलवाया। ड्यूटी पर जाने से पहले जवानों ने भारत माता की जयकारे व अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर देश की सेवा करने ट्रेंनिग सेंटर बिलासपुर चले गए।
देश के लिए जीना और मरना है
सीआरपीएफ में चयनित चिचबोड़ के नवीन ने कहा कि बचपन से एक ही सपना था कि देश की रक्षा करने जाऊंगा। उसके लिए कड़ी मेहनत शुरू की। सीआरपीएफ में चयन हुआ तो गर्व महसूस होता है कि हम भी देश के रक्षक हैं। अब देश के लिए जीना और मरना है।
देश को हमारी जरूरत
गुंडरदेही ब्लॉक के ही ग्राम सकरौद निवासी लोकेश ने कहा कि आज जीवन का वो दिन है, जिसका इंतजार था। हमें खुशी हो रही है कि हम भी सैनिक बन रहे हैं। देश की रक्षा करेंगे। आज देश को हम नवजवानों की जरूरत है।
मान बढ़ाया
बालोद जिले में सबसे ज्यादा सेना में सेवा दे रहे गांव में नेवारीखुर्द, पैरी, ग्राम नर्रा हैं। लेकिन जिले के कई और ऐसे गांव हैं, जहां देश भक्तों की कमी नहीं है। हाल ही में जिले के ग्राम खल्लारी (गुजरा) से 6 युवाओं का चयन सीआरपीएफ में हुआ है। ये युवा भी इसी माह ट्रेंनिग करने बिलासपुर ट्रेनिंग सेंटर जाएंगे। ट्रेनिंग के बाद इन जवानों को देश के अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इन जवानों की देश सेवा का जुनून देखकर लोगों ने उन्हें सेल्यूट किया।
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