ग्रहों का चाल : देवसेनापति व दैत्य ग्रह बदल रहे बंगाल चुनावों में गणित! जानें क्या होना वाला है?
पूरे देश की निगाहें इन दिनों बंगाल चुनाव पर हैं, जबकि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। दरअसल राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद खास पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस-वाम दलों के बीच एक बेहद दिलचस्प त्रिकोणीय सियासी घमासान होने के आसार हैं।
इस चुनाव में बीजेपी की सीधी टक्कर तृणमूल कांग्रेस से है। ऐसे में हर दिन पश्चिम बंगाल का राजनीतिक समीकरण बदलता जा रहा है, ज्योतिष के जानकारों के अनुसार भी अब तक जहां भाजपा का पलड़ा इस चुनाव में भारी दिख रहा था, वहीं मंगल के अलावा राहु-केतु ने स्थितियों में परिवर्तन का दौर शुरु कर दिया है। जिसके चलते दीदी एक बार फिर मजबूत होती दिख रही हैं।
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इससे पहले जहां ममता बनर्जी के कई बेहद करीबी नेता उनका साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल होकर उन पर भाई-भतीजे का आरोप लगा रहे हैं। वहीं विजय का परचम लहराती बढ़ती बीजेपी इस बार ममता को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश में लगी हुई है।
लेकिन ग्रह कुछ ओर ही खेल करते दिख रहे हैं। जिसके चलते भाजपा को कुछ सीटों का नुकसान संभव है। इसके बावजूद भाजपा अंतिम स्थिति में 140 से 160 सीटों के बीच आ सकती है। परंतु यदि अब एक भी ग्रह ने बड़ा बदलाव किया तो बंगाल की कमान वापस टीएमसी के हाथों में आ सकती है।
इससे पहले चुनाव में 294 सदस्यीय विधानसभा में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने 211 सीटें जीतकर भारी बहुमत से दूसरी बार सत्ता में आई थी। लेकिन इस बार के चुनाव में दीदी ममता बनर्जी को मोदी और शाह की आक्रामक सियासी चालों से जूझना पड़ रहा है।
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पश्चिम बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन है और नक्षत्र मृगशिरा है। वर्ष 2011 में जब शनि कन्या राशि पर गोचर कर रहा था तब मिथुन राशि से सत्ता स्थान यानी दशम भाव में संचार कर रहे थे और मिथुन राशि को देख रहे थे।
ऐसे में उस समय ममता बनर्जी ने 34 वर्ष से लगातार चले आ रहे वाम दलों के शासन को चुनाव में पटकनी देकर देश की सियासत में सनसनी मचा दी थी। संयोग से उस वर्ष गुरु मीन राशि में थे और पश्चिम बंगाल की राशि मिथुन राशि से दशम भाव में गोचर कर सत्ता परिवर्तन का योग बना रहे थे।
वहीं अभी पिछले वर्ष से शनि और गुरु मकर राशि में गोचर करते हुए बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन से अष्टम भाव में आकर यहां की राजनीति में उथल-पुथल मचाए हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस के कई कद्दावर नेता ममता का दामन छोड़कर भाजपा शामिल हो चुके हैं और यह सिलसिला निरंतर जारी है।
इस विकट शनि-गुरु के गोचर के चलते ममता बनर्जी बंगाल में कमजोर होती नजर आ रही थीं। लेकिन एकाएक इस पूरे खेल में मंगल के परिवर्तन के अलावा शनि—गुरु की जोड़ी और राहु—केतु की एंट्री पासा पलटने का काम करती दिख रही है।
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या दीदी ममता बनर्जी, मोदी और शाह की आंधी में अपनी शाख बचा पाएंगी या इन्हें अबकी बार शिकस्त का सामना करना पड़ेगा। आइए इस सवाल का जवाब ज्योतिष और ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से जानते हैं।
Communist Party
ऐसे में यदि वामदलों के प्रमुख घटक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की बात की जाए तो इसकी स्थापना कुंडली 31 अक्टूबर 1964 दोपहर 2 बजकर 14 मिनट कोलकाता की है। कुंभ लग्न की इनकी कुंडली में पिछले 16 वर्ष से चली आ रही गुरु की महादशा अब मार्च के मध्य में समाप्त होने जा रही है।
कम्युनिस्ट पार्टी की कुंभ लग्न की कुंडली में गुरु मारकेश होकर तीसरे घर में शनि, सूर्य और बुध से दृष्ट हैं। इस दशा के प्रभाव से इस पार्टी ने पिछले दो दशकों में लगातार बड़े उतर-चढ़ाव देखे हैं। अब लग्न में विराजमान स्वराशि के शनि की दशा में पार्टी का प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में संतोषजनक रहने की संभावना है।
TMC
वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की स्थापना कुंडली 1 जनवरी 1998 सुबह 11 बजे कोलकाता की है। मीन लग्न की इस कुंडली में एकादश (लाभ) भाव में गुरु, मंगल, शुक्र और चंद्रमा का बड़ा धन योग बन रहा है। इस पार्टी की स्थापना के बाद ममता बनर्जी का कद केंद्र की राजनीति में तेज़ी से बढ़ा।
ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेता वाजपेयी और मनमोहन सरकार में मंत्री पदों पर रह चुके हैं। वर्ष 2011 में राहु-गुरु की दशा में तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सत्ता में पहली बार आयी। वर्तमान में इस पार्टी की कुंडली में राहु-शुक्र की विंशोत्तरी दशा जुलाई 2019 से चल रही है। राहु कुंडली के छठे भाव में और शुक्र लाभ भाव में हैं जो कि एक-दूसरे से षडाष्टक होकर विवादों और मुश्किलों को दर्शाते हैं।
टीएमसी की वापसी का ये बन सकता है कारण:
राहु-शुक्र-गुरु का समय जनवरी 2021 से जून 2021 तक चलेगा, जहां गुरु एकादश भाव में नीच के होकर उस भाव के अधिपति शनि से परिवर्तन योग में हैं। शनि गुरु की राशि मीन में तथा गुरु शनि की राशि मकर में होकर एक बड़ा धन योग बना रहे हैं। इस योग के प्रभाव से बेहद विकट परिस्थियों में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है। आगामी 13 अप्रैल से मंगल का बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन में आना कुछ बेहद अप्रिय घटनाओं के बाद तृणमूल कांग्रेस को दोबारा सत्ता पर काबिज करा सकता है।
BJP
जबकि बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार दिलीप घोष का जन्म 1 अगस्त 1964 को रात्रि 2 बजकर 52 मिनट पर बंगाल के गोपीवल्लभपुर में हुआ था। मिथुन लग्न की इनकी कुंडली में विवाह और साझेदारी
स्थान यानी सप्तम भाव में केतु बैठे हैं जिनपर लग्न से राहु, शुक्र और मंगल का प्रभाव होने के चलते यह अविवाहित ही रहे।
वर्तमान में यह राहु-शुक्र-राहु की कठिन विंशोत्तरी दशा में चल रहे हैं। शुक्र के इनकी कुंडली में मंगल के साथ ग्रह-युद्ध में पीड़ित होने के कारण यह अपनी पार्टी को बड़ी जीत दिलाने में असफल रह सकते हैं, किंतु शुक्र इनकी कुंडली में पंचमेश होकर लग्न में विराजमान हैं तो इस कारण से इनका कद प्रदेश की राजनीति में बढ़ेगा
लेकिन मुख्यमंत्री बनने की संभावना अभी बेहद कम है। इनकी कुंडली के नवम भाव में बैठे वक्री शनि पर तीसरे घर से लग्नेश बुध की दृष्टि ने इनको बेहद काम आयु में सार्वजानिक कार्यों और संघ के प्रचारक की भूमिका में ला दिया।
जानकारों का मानना है कि बंगाल की राजनीति में अभी और कई चीजें समय की गहराइयों में छुपी हुई हैं। मुमकिन है चुनाव से पहले कुछ ऐसा हो कि एक बार फिर भाजपा की लहर वेग पकड़ ले, जिसके चलते भाजपा बंगाल में विजय प्राप्त कर ले। इनमें किसी एक मुखौटे का खुलना भी कारण बन सकता है।
Source: Religion and Spirituality