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Happy Holi: होलिका दहन के धुएं से शुभ-अशुभ का ऐसे लगता है पूर्वानुमान

आज होलिका दहन (Holika Dahan) का दिन है। इस बार अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार होली ( holi : Festival of colors ) सोमवार को हस्त नक्षत्र एवं ध्रुव व जयद योग के युग्म संयोग में मनेगी। जबकि इससे एक दिन पहले यानि आज होलिका दहन (Holika Dahan) होगा। होली का पर्व हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है।। होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन होलिका का पूजा की जाती है। सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ संतान के उज्जवल भविष्य की कामना की जाती है।

होलिका के अग्नि व धुएं से पूर्वानुमान-
जानकारों के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) के धुएं से प्रकृति में होने वाली समस्त शुभाशुभ फल की जानकारी प्राप्त होती है। पहले समाज में लोग वर्ष में होने वाले प्राकृतिक आपदा विपदा और शुभता की जानकारी होलिका दहन की रात धुएं से प्राप्त करते थे जो आज भी मान्य है।

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो होलिका दहन (Holika Dahan) के समय हवा की दिशा से आपके भविष्य की जानकारी हासिल की जा सकती है। होलिका दहन की लौ जिस दिशा में लहराती हुई जलती है उससे यह तय होता है कि व्यापार, कृषि, वित्त, शिक्षा व रोजगार इत्यादि को लेकर आपका आगामी एक वर्ष कैसा होगा? यानि होलिका दहन की अग्नि व धुंआ जिस दिशा में उठता है उससे आप अपना भविष्य जान सकते हैं।

बताया जाता है शास्त्रों के अनुसार होलिका-दहन (Holika Dahan) के पश्चात उठे धुएं व अग्नि की लौ की दिशा से भी भविष्य-कथन किए जाए का उल्लेख होता है और होली का धुआं यदि पूर्व दिशा की ओर जाए तो देश में सुख रहेगा, यदि दक्षिण दिशा की ओर जाए तो सत्ता-परिवर्तन होगा, पश्चिम दिशा की ओर होली का धुआं जाने से राज्य में अकाल की संभावना होती है एवं उत्तर दिशा की ओर होली का धुआं जाने से धन-धान्य व सुख-समृद्धि हो जाती है।

ऐसे समझें लौ व धुएं का इशारा (Holika Dahan : Signal of smoke and flame )…
: होलिका दहन (Holika Dahan) के दौरान यदि उसकी लौ ऊपर आसमान की तरफ उठे और निकलने वाली धुआं सीधा आकाश की ओर जाने लग जाए तो समझ जाइए कि यह बदलाव का संकेत है। यह संकेत देता है कि सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े और पॉजिटिव बदलाव देखने को मिलते हैं।

: होलिका दहन (Holika Dahan) के समय यदि इसकी लौ पूर्व दिशा की ओर लहराए तो ये शुभ संकेत माना जाता है। इसका मतलब है कि आगामी वर्ष खुशहाली भरा रहेगा। राजा प्रजा सभी के लिए साल सुखद साबित होगा। वहीं शिक्षा, अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलने वाला है। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी खुलने वाले हैं। सेहत को लेकर भी सबकुछ अच्छा रहने वाला है।

: होलिका दहन (Holika Dahan) की अग्नि की लौ पश्चिम दिशा में होने पर पशुधन का लाभ होता है। आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। हालांकि ऐसा धीरे धीरे होता है। प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है, साथ ही इसे कृषि की हानि वाला और बेकार खरपतवार की वृद्धि का योग भी माना जाता है।

: होलिका दहन (Holika Dahan) में यदि अग्नि उत्तर की ओर जलने लगे तो देश और समाज में सुख शांति के अवसर बढ़ जाते हैं। इसके अलावा आर्थिक उन्नति भी होती है। इसकी वजह ये है कि उत्तर दिशा कुबेर सकी दिशा मानी जाती है। वहीं चिकित्सा, शिक्षा, कृषि, व्यापार इत्यादि क्षेत्रों में भी लाभ होता है। यह शुभ संकेत होता है और माना जाता है कि इससे पूरे साल आर्थिक क्षेत्र में उन्नति होगी साथ ही धन व सुख बढ़ेगा।

: होलिका दहन (Holika Dahan) में अग्नि की लौ दक्षिण दिशा की ओर जाना शुभ संकेत नहीं होता है। इसे फसलों के नुकसान व महंगाई बढ़ने की ओर इशारा भी माना जाता है।

ऐसा होने पर झगड़े और विवाद बढ़ते हैं। युद्ध-अशांति के चांस बढ़ जाते हैं। बस न्यायिक मामलों में ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। इसके अलावा ऐसे में राज्य की सत्ता भंग होने व जन विद्रोह की संभावना पर भी विचार किया जाता है।

सूर्यास्त के बाद करें होलिका दहन (Holika Dahan after sunset) –
जानकारों के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक भद्रा रहेगी। इसलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाएगा। दरअसल भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 28 मार्च को उत्तरफाल्गुन नक्षत्र में रविवार को सूर्यास्त से लेकर निशामुख रात 12 बजकर 40 मिनट तक जलाई जाएगी। इसके अलावा रात 07 बजकर 40 मिनट तक होलिका दहन का विशेष मुहूर्त है।

होलिका दहन (Holika Dahan) में ना जलाएं ये लकड़ियां…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) में लकड़ियों को जलाया जाता है। ऐसे में कछ लकड़ियों का इस्तेमाल वर्जित माना गया है, ऐसे में यदिर आप इन लकड़ियों को जलाते हैं तो यह काफी अशुभ माना जाता है।

दरअसल राहु-केतु से संबंधित कुछ पेड़ों को बुराई का प्रतीक माना जाता है, इसलिए होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियों को जलाना चाहिए।

: होलिका दहन के दिन एरंड और गूलर की लकड़ी का इस्तेमाल करने के साथ ही इस दिन गाय के उपले इस्तेमाल किए जाने चाहिए।

: इस मौसम में एरंड और गूलर के पत्ते झड़ने लगते हैं ऐसे में अगर इन्हें जलाया ना जाए तो इनमें कीड़ा लगने लगता है।

: माना जाता है कि एरंड और गूलर की लकड़ी का यह खासियत है कि इसे जलाने से हवा शुद्ध होती है और मच्छर, बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। इन दोनों लकड़ियों को गाय के उपले के साथ जलाना चाहिए।

: होलिका दहन में आम की लकड़ी को नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करना काफी अशुभ माना जाता है।

: होलिका दहन में वट की लकड़ी जलाना भी अशुभ माना जाता है, ऐसे में होलिका दहन में इन चारों पेड़ों की लकड़ी जलाने से परहेज करना चाहिए।



Source: Dharma & Karma