27000 महिलाओं ने इस महिला को दिया है अन्नपूर्णा का दर्जा, रोज करती हैं बहुत कीमती चीज का दान
लाली कोष्टा@जबलपुर। मन में यदि कुछ अच्छा काम करने का विचार आता है तो उसे पूरा करने में कोई भी नहीं रोक सकता है। सैकड़ों किमी की दूरियां भी कम हो जाती हैं। ये कहना है जबलपुर की पारुल अग्रवाल का। वे सोशल मीडिया पर एक ओर जहां उद्यमी व जागरुक महिलाओं को जोडऩे का काम करती हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली के जरूरतमंद बच्चों को समय का दान कर शिक्षा प्रदान करती हैं। वे कहती हैं कि ये जरूरी नहीं कि आपके सोशल मीडिया पर कितने फॉलोवर्स हैं, कितने लाइक आते हैं। बल्कि आप सोशल मीडिया पर कितने सोशल हैं इस पर ध्यान होना चाहिए।
सोशल मीडिया करती हैं ‘डोनेट एन ऑवर’, ताकि कोई बच्चा पढऩे से पिछड़ न जाए
जबलपुर की पारुल करती हैं दिल्ली के बच्चों को पढ़ाने का काम, रोजाना लगती है उनकी क्लास
बचपन से पढऩे लिखने का शौक
पारुल अग्रवाल ने बताया कि उनको बचपन से ही पढऩे लिखने का शौक रहा है। शादी के बाद घर पर काम करने वालों के बच्चों को भी गाईड करती रहती थी। लॉकडाउन जब शुरू हुआ तो उनकी सहेली पूनम चौहान ने उन्हें ‘डोनेट एन ऑवर’ संस्था से जोड़ा जो दिल्ली के गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का काम करती है। इसमें समय दान देकर हम बच्चों को घर बैठे पढ़ा सकते हैं। इससे जुडऩे के बाद टाइम स्लॉट दिया गया, जिसमें हर दिन एक से डेढ़ घंटे ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाती हूं। करीब 60 बच्चे मेरी क्लास में पढ़ते हैं, कभी कभी दूसरी क्लास न होने पर एक्सट्रा क्लास भी लेती हूं।
समय दान से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने करती हैं प्रेरित
पारुल अग्रवाल एक फेसबुक ग्रुप से जुड़ी हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है। जहां जॉब पाने से लेकर देने व बिजनेस प्रमोट करने के तरीके भी सिखाए जाते हैं। पारुल ने एमबीए किया है, जिसका पूरा उपयोग ग्रुप की महिलाएं करती हैं। ग्रुप से जुड़ी महिलाएं उन्हें ‘अन्नपूर्णा’ के नाम से बुलाते हैं क्योंकि वे सबकी रोजी रोटी के लिए कीमती समय देकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम करती हैं। पारुल के पति रीतेश अग्रवाल का इसमें पूरा सपोर्ट मिलता है। वे कहते हैं कि समाज सेवा में दिखावा न हो तो ज्यादा अच्छे काम किए जा सकते हैं। यही वजह है कि पारुल पब्लिसिटी से हमेशा दूरी बनाए रखती हैं।
Source: Education