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Health News : जानिए, पानी के अंदर कैसे देते हैं फिजियोथैरेपी

सवाल : Physiotherapy क्या है?
मशीनों और एक्सरसाइज से फिजियोथैरेपी देते हैं। मरीज महिला है या पुरुष, बीमारी, उम्र, हार्ट रेट, वजन व ऊंचाई के अनुसार थैरेपी देते हैं। मरीज व बीमारी की स्थिति अनुसार कसरत कितनी बार, कैसे , कितनी देर करनी है तय करते हैं। अस्थि रोग, न्यूरो, हृदय रोग, स्पोट्र्स, स्त्री रोग, शिशु रोग, मांसपेशियों के लिए अलग-अलग फिजियोथैरेपिस्ट होते हैं। जानवरों के लिए भी वेटरिनरी फिजियोथैरेपिस्ट होते हैं।
सवाल : बीमारी व समस्या के अनुसार थैरेपी देते हैं?
फिजियोथैरेपी से मरीज को जल्द गतिशील करने में मदद मिलती है। अस्थि रोग में कमर, गर्दन, घुटने, एड़ी व जोड़ों का दर्द, प्लास्टर के बाद अकडऩ, जोड़ों की जकडऩ से राहत के लिए देते हैं। तंत्रिका रोग में पैरालिसिस, बेल्स पॉल्सी, नसों की कमजोरी व दबना, स्पोट्र्स स्पाइनल व हेड इंजरी, प्रेग्नेंसी, शिशु रोग, सेरेब्रल पॉल्सी, स्पाइना बाइफिडा, जन्मजात विकृतियों में भी कारगर है।
सवाल : नए मरीज को थैरेपी देने की प्रक्रिया क्या है?

थैरेपी में मरीज की 80% फिजियो एक्सरसाइज की 20% भूमिका होती है। अक्सर मरीज लंबे समय से परेशान होते हैं और तुरंत फायदा चाहते हैं। इसलिए धैर्य व सकारात्मक सोच जरूरी है।

सवाल : किन स्थितियों व बीमारियों में यह उपचार नहीं दिया जा सकता है?
पेसमेकर लगे मरीज, गर्भवती महिला को रेडिएशन वाली मशीन नहीं लगाते हैं लेकिन जरूरी कसरत करवाते हैं। गर्भवती महिला को सामान्य प्रसव के लिए एंटी नेटल फिजियो क्लास कराते हैं। कैंसर मरीज को हीट, रेडिएशन मशीनें नहीं लगाते हैं। सेंसेटिव स्किन वाले मरीजों को मशीनें से थैरेपी से बचते हैं।
सवाल : क्या इस दौरान खानपान में भी बदलाव जरूरी है?
फिजियोथैरेपी हल्के नाश्ते के बाद या खाने के तीन घंटे बाद करें। खाली पेट से थकान होती है। कसरत से पहले पानी पीएं। बीमारी के अनुसार आहार विशेषज्ञ से डाइट चार्ट बनवा लें। आराम के बाद भी अभ्यास कर सकते हैं।
सवाल : इस क्षेत्र में कौन सी नई तकनीक आई है।
डिजिटल मशीनों से थैरेपी की जा रही हैै। यह मरीज का रेकॉर्ड रखती हैं। साथ ही सही कसरत के बारे में भी बताती हैं। इस समय पानी के अंदर थैरेपी का भी चलन है, जिसे हाइड्रो थैरेपी कहते हैं।
सवाल : स्पोर्ट्स इंजरी में तुरंत कैसे इलाज करते हैं?
मैदान में खिलाड़ी को चोट लगने पर एक्सपर्ट तुरंत चोटग्रस्त भाग को कूलिंग मेडिसिनल स्प्रे से सुन्न कर देता है। मोच या स्प्रेन की स्थिति में मैनुअल थैरेपी से अलाइनमेंट सही करने का प्रयास करता है। चोटग्रस्त भाग की टैपिंग करता है। राहत नहीं मिलती है तो अन्य उपचार किए जाते हैं।
सवाल : मरीज को किन 5 चीजों का ध्यान देना चाहिए?
1. एक्सपर्ट फिट हो। मोटापे से ग्रस्त और पैरालिसिस के मरीज को कसरत आसानी से करा सके।
2. थैरेपी का सेंटर घर से नजदीक हो ताकि नियमित उपचार ले सकें।
3. सेंटर जहां फिजियोथैरेपिस्ट खुद उपचार करते हों या प्रशिक्षित जूनियर उनकी निगरानी में थैरेपी देते हों।
4. सेरेब्रल पॉल्सी, मस्कुलर डिस्ट्राफी, न्यूरो मसकुलर डिसआर्डर बीमारियों में थैरेपी ताउम्र चलती है। एक्सपर्ट बार-बार बदलना नहीं चाहिए।
5. इलाज से पहले विशेषज्ञव बीमा कंपनी से मेडिक्लेम की जानकारी ले लें
एक्सपर्ट : डॉ. गीतेश अमरोहित, एमपीटी न्यूरो, फिजियोथैरेपिस्ट, रायपुर



Source: Health