मंगलवार है हनुमान जी का दिन, जानिये कैसे करें प्रसन्न और पाएं मनचाहा आशीर्वाद
सनातन हिंदू धर्म में हनुमान जी को 11वें रुद्रावतार के रूप में माना जाता है। वहीं श्री रामभक्त हनुमान चिरंजीवी होने के साथ ही कलयुग के प्रमुख देवता भी माने गए हैं। ऐसे में वर्तमान में चल रहे इस कलयुग में हर कोई हनुमान जी को प्रसन्न कर उनसे मनचाहा वरदान मांगना चाहता है।
ज्योतिष के अनुसार ग्रहों में हनुमान जी को मुख्य रूप से मंगल का स्वामित्व प्राप्त है। यहां देवसेनापति को पराक्रम का कारक माना जाता है, वहीं हनुमान जी को भी सबसे शक्तिशाली माना गया है। जिसके चलते उनके सामने हर तरह के दानव, राक्षस और भूत प्रेत सब थार-2 कांपते है। वहीं सप्ताह के वारों में इन्हें मंगलवार का कारक देव माना गया है, मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
श्री हनुमान जी का नाम हिन्दू धर्म में अत्यंत ही बहुत ही पवित्रता के साथ लिया जाता है ऐसे में आज हम आपको मंगलवार के दिन हनुमान जी कि पूजा कैसे करें, इस संबंध में बता रहे हैं।
इस संंबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि हनुमान जी श्रीराम जी के अन्नय भक्त हैं, इसीलिए उनकी पूजा अर्चना करते समय हमेशा राम का नाम भी आता है। वहीं हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार को सुबह के समय सबसे उचित माना जाता है।
वहीं यदि आप हनुमान जी का पूजन हर रोज करते हैं तो शाम को समय भी किया जा सकता है। हनुमान जी के हर रोज पूजन में एक खास बात ये भी है कि ये एक निश्चित समय पर ही हर रोज किया जाना चाहिए।
Hanuman Puja Vidhi : हनुमान की पूजा विधि…
श्री हनुमान के पूजन के लिए सबसे पहले भक्त को सुबह सुबह स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर आसन लगाकर बैंठे और आपके सामने श्री हनुमान जी की प्रतिमा या फिर राम दरबार का चित्र होना चाहिए। इस समय हाथ में चावल, पुष्प, दूर्वा लेकर मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए।
मंत्र-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ध्यान करने के बाद हाथ में लिए पुष्प व अन्य सामग्री श्री हनुमान जी को अर्पित करें। मान्यता के अनुसार रामदरबार के समक्ष हनुमानजी का ध्यान करने से श्री राम की कृपा भी प्राप्त होती है। हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुमकुम, चावल, फल व हार चढ़ाएं। इस दौरान श्री राम के मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
पूजन सामग्री…
हनुमान जी कि पूजा करने के लिए आपको लाल कपडा, चौकी, भगवान राम कि मूर्ति, एक कप कच्चे चावल, धूपबत्ती, घी से भरा दीया, फूल, चन्दन या रोली, गंगाजल, तुलसी कि पत्तियों और भोग के लिए गुड़ या भुने चने होना अनिवार्य होने चाहिए। पूजा के अंत में हनुमान मंत्र “ॐ हं हनुमते नमः” का 108 बार जाप करें और मंत्र का जाप करने के बाद हनुमान जी के सामने सिर झुका कर की गई पूजा स्वीकार को स्वीकार करने की विनती करें, तभी आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है।
how hanumanji become happy: हनुमान जी को प्रसन्न कैसे करें
हनुमान जी की पूजा करते समय ऐसा कोई कार्य न करें जिससे वह नाराज़ हों, ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए जानें क्या करें? व क्या न करें? :
– हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आप उनकी पूजा के लिए लाल या पीले वस्त्र का प्रयोग करें, और काले वस्त्र पहन कर हनुमान जी कि पूजा न करें।
– मास मदिरा के सेवन करके हनुमान जी के मंदिर में न जाएं, क्योंकि ऐसा करने से हनुमान जी शीध्र ही कुपित हो जाते हैं।
– इस दौरान पवित्रता बनाए रखने के लिए इस बात का खास ध्यान रखें कि आप जहां पर उनकी पूजा कर रहे हो वो स्थान एक दम साफ़ सुथरा हो ।
– भूलकर भी हनुमान जी, या किसी भी देवता की खंडित मूर्ति का उपयोग पूजा में न करें।
– पूजा के एक दिन पूर्व से ब्रह्मचर्य का अवश्य पालन करें।
हनुमान जी को प्रसाद ऐसे अर्पित करें…
यूं तो हनुमान जी को प्रसाद केले के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए, लेकिन यदि यह मुमकिन न हो तो किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को चढ़ाएं। इसके बाद फल चढ़ाएं। प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़ आदि रखा जा सकता है। इसके बाद एक थाली में कपूर और घी का दीप जलाकर हनुमानजी की आरती करें।
Hanuman Ji Bhajan : हनुमान जी का भजन
हनुमान जी की पूजा करने के लिए उनकी आरती भी करनी होती है, ऐसे में आप हनुमान जी की पूजा करते समय इस आरती का पाठ भी कर सकते हैं :
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपै । रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर सब मारे । सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे । लाय संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाईं भुजा असुर संहारे । दाईं भुजा संत जन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारें । जय जय जय हनुमान उचारें ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ।।
जो हनुमान जी की आरती गावे । बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।
लंक विध्वंस किए रघुराई । तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।।
Source: Dharma & Karma