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कर्ज लिया 35 करोड़ और चुकाने पड़े 80 करोड़, जानिए कैसे?

सागर. राजघाट फेस-2 का काम अचानक से तेज गति से शुरू क्यों हो गया है, पत्रिका इसकी तह तक पहुंच गई है। राजघाट पेयजल परियोजना के निर्माण के लिए राज्य शासन ने हुडको से नगर निगम सागर को वर्ष-1999-2000 में करीब 35 करोड़ रुपए का लोन दिलवाया था जो कुछ महीने पहले चुक गया है। यही वजह है कि भोपाल से राजघाट फेस-2 को स्वीकृत मिल गई है। निगम प्रशासन को ब्याज समेत करीब 80 करोड़ रुपए की राशि चुकानी पड़ी है।

वर्ष-2011 में शुरू होगा था राजघाट फेस-2
नगर निगम के विशेषज्ञों की माने तो राजघाट पेयजल परियोजना का जब निर्माण किया गया था तो उस समय इसके दोनों चरणों पर प्लानिंग बनाई गई थी। वर्ष-2002-2003 में पहला चरण पूरा हो गया था और तय समयसीमा के हिसाब से वर्ष-2011 में राजघाट फेस-2 शुरू होना था लेकिन हुडको को ऋण बकाया होने के कारण राज्य शासन ने इसकी दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके कारण यह प्रोजेक्ट करीब आठ साल पीछे खिसक गया।

अब निगम प्रशासन को फिर दिलाया जाएगा लोन

राजघाट फेस-2 के तहत शासन को भूमि अधिग्रहण समेत अन्य कार्यों के लिए करीब 85 से 90 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। शासन एक बार फिर से निगम प्रशासन को किसी बड़े बैंक से लोन दिलाएगा और लोन की राशि नगर निगम को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति से काटी जाएगी। वर्तमान में निगम प्रशासन को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि प्रतिमाह मिल रही है।

प्रस्ताव भेजने बुलाई एमआइसी की आवश्यक बैठक

मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहन्ती के निर्देश के बाद जिला स्तर पर राजघाट फेस-2 के लिए काम तेज गति से शुरू हो गया है। बीते दिन सिंचाई विभाग के एक्सपर्ट की टीम शहर आई थी और उन्होंने जिले से किस-किस प्रकार के प्रस्ताव व जानकारी भोपाल भेजनी है, इसकी जानकारी दी थी। यही वजह है कि रविवार को अवकाश के दिन महापौर परिषद की बैठक बुलाई गई जिसमें परिषद ने फेस-2 के प्रस्ताव को स्वीकृति देकर शासन को भेजने का निर्णय लिया। बैठक में एमआइसी मेंबर्स को महापौर अभय दरे ने बताया कि गेट लगने से बांध का जलस्तर दो मीटर बढ़ जाएगा और जलभराव क्षमता लगभग 20 एमसीएम बढ़ जाएगी। इस फायदा यह होगा कि अब आने वाले 15 से 20 वर्षों तक निगम प्रशासन को गरमी के मौसम में पानी लिफ्टिंग जैसे काम नहीं करने पड़ेंगे।

एलीवेटेड कॉरिडोर पर भी लिया निर्णय

महापौर परिषद ने राजघाट फेस-2 के साथ परकोटा के यातायात जाम से निपटने के लिए फ्लाई ओव्हर (लेक बायपास एलीवेटेड सुपर कॉरिडोर) के निर्माण को भी स्वीकृति दी। हालांकि इस आशय के प्रस्ताव पूर्व में भी परिषदों में पारित होते रहे हैं। परिषद ने इस नए प्रस्ताव को केंद्र सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय से स्वीकृति के लिए भेजने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में निगमायुक्त आरपी अहिरवार, एमआइसी मेंबर नरेश यादव, विनोद तिवारी, जिनेश साहू, नीरज जैन गोलू, पुष्पा पटेल, याकृति जडिय़ा, श्वेता यादव, आरती पाराशर, नीतू खटीक, उपायुक्त डॉ. प्रणय कमल खरे समेत अन्य शामिल रहे।



Source: Education