छत्तीसगढ़ : सरकार के दावों की खुली पोल, मानसून सिर पर, बर्बादी की ओर करोड़ों के धान
रायपुर . छत्तीसगढ़ में 15 जून तक मानसून आने की संभावना जताई जा रही है। इसके बावजूद संग्रहण केंद्रों में धान के उठाव की रफ्तार काफी धीमी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सख्ती के बाद भी स्थिति यह बन रही है कि संग्रहण केंद्रों में 5 से 7 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव नहीं हो पाया है जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी भी संग्रहण केंद्रों में 13 लाख 98 हजार मीट्रिक टन धान जाम पड़ा है। ऐसे में एक बार फिर बारिश में धान के भीगने और उनके अंकुरित होने का खतरा बढ़ रहा है। इसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ेगा। इस दिशा में अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं बन सकी है।
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वहीं अधिकारियों का कहना है, इस बार लक्ष्य से अधिक की धान खरीदी होने और लॉकडाउन की वजह से धान के उठाव पर असर पड़ा है। वहीं अतिशेष धान की ई-नीलामी की वजह से भी धान संग्रहण केंद्रों में जाम है। हालांकि सरकार ने फैसला लिया है कि 10 लाख मीट्रिक टन धान से चावल बनाकर स्वयं अपने पास रखेंगी।
दो साल में खरीदा 16 करोड़ 62 लाख का कैप कवर
धान के सुरक्षित भंडार के लिए डनेज, तिरपाल, तारपोलिन, कैप कवर, कीटनाशक और फेंसिंग की व्यवस्था की जाती है। राज्य सरकार ने धान को गीला होने से बचाने के लिए दो साल में 16 करोड़ 62 लाख 75 हजार रुपए के कैप कवर की खरीदी की है। सरकार ने वर्ष 2019-20 में 12 हजार 500 कैप कवर 7470 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे थे। इसके बाद वर्ष 2020-21 में 10 हजार कैप कवर 7290 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे गए।
पिछले साल का 23 हजार मीट्रिक टन धान बाकी
सरकारी कामकाज का आकलन इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019-20 के 23 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव अब तक नहीं हो सका है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीजापुर, कांकेर, सुकमा, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर व सूरजपूर जिलों में धान का उठा होना बाकी।
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चार जिलों में पूरा हुआ धान का उठाव
छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में से केवल चार जिलों से धान का पूरी तरह से उठाव हो चुका है। इसमें कोरबा, जशपुर, कोरिया और गौरेला-पेंड्रा- मरवाही जिला शामिल हैं। कोरबा में 1 लाख 35 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। जबकि जशपुर में 1 लाख 16 हजार मीट्रिक टन, कोरिया में 1 लाख 19 हजार मीट्रिक टन और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 74 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी।
यह है जिलों का हाल
जांजगीर में खुले आसमान के नीचे धान
जांजगीर-चांपा जिले में उपार्जन केंद्रों में करीब 33 हजार क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हंै। खरीदी बंद होने के 4 माह बाद भी समितियों से पूरे धान का उठाव अभी भी नहीं हो पाया है। नोडल अधिकारी अश्विनी पांडे का कहना है कि केंद्रों में धान को बेमौसम बारिश और धूप से बचाने पर्याप्त कैप कवर के इंतजाम किए गए हैं।
कवर्धा में शुरुआती दो महीने उठाव ही नहीं
कबीरधाम के उपार्जन केंद्रों में अभी 7 लाख क्विंटल से अधिक धान जाम है। 2 माह बाद अब उठाव शुरू हुआ है। बारिश और चूहे के कारण बड़ी मात्रा में धान खराब हो रहा है। कई केंद्रों में पर्याप्त कैप कवर नहीं होने के कारण धान भीग रहा है।
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बालोद में सड़ रहा धान
बालोद जिले में धान खरीदी समाप्त होने के 5 माह बाद भी उठाव नहीं हुआ है। अभी भी खरीदी केंद्रों में करीब ढाई लाख क्विंटल धान शेष है, जो रखरखाव के अभाव में बारिश में धान भीगने व तेज धूप के कारण सड़ रहा हैं। इस धान को उठाने से मिलर्स भी कतरा रहे हैं।
राजनांदगांव में खराब बोरी के कारण धान बर्बाद
राजनांदगांव में 139 उपार्जन केंद्र के माध्यम से 186474 किसानों से धान की खरीदी हुई है। यहां 2 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव होना बाकी है। धान खरीदी केंद्रों में खराब बारदानों की वजह से धान फैल गया है और खराब होने की स्थिति में आ गया हैं।
महासमुंद में मांग के बाद भी उठाव नहीं
महासमुंंद जिले धान का उठाव नहीं हो रहा है। समितियां जिला विपणन विभाग से लगातार मांग कर रही हैं कि शीघ्र उठाव हो। जिला विपणन अधिकारी सी.आर. जोशी ने बताया कि लगभग 9 लाख क्विंटल शेष है। धान तिरपाल से ढंककर रखने के निर्देश दिए हैं।
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दुर्ग में कैप कवर खोल दिया
दुर्ग जिले में करीब 42 हजार क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा है। बेमौसम बारिश से भीग भी गया है। फिलहाल सुखाने के लिए कैप कवर को खोल दिया गया है।
बिलासपुर संभाग की भी स्थिति अच्छी नहीं
बिलासपुर जिले में ही बारिश से 50 हजार क्विंटल धान के नुकसान होने की आशंका है। आकलन के लिए जिला स्तर पर समिति गठित की गई है। कोरिया जिले के 33 उपार्जन केंद्रों में 12304.89 टन धान खुले में पड़ा है। उठाव की प्रक्रिया शुरू हुई।
धान संग्रहण केंद्रों में धान के सुरक्षित भंडार की व्यवस्था की गई है। वहीं धान खरीदी केंद्रों में करीब 5 लाख मीट्रिक टन धान बचा हैं। खाद्य मंत्री के निर्देश पर सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर धान खरीदी केंद्रों से धान का उठाव करने कहा गया है। इसका डीईओ भी कटना शुरू हो गया है।
– मनोज कुमार सोनी, विशेष सचिव, खाद्य विभाग
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