नीरज चोपड़ा का खुलासा-कोच ने मना किया था प्रतियोगिता में 100 फीसदी देने से
भारत के लिए ओलिंपिक में मेडल के दावेदार भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा इन दिनों विदेश में रहकर ट्रेनिंग कर रहे हैं। नीरज चोपड़ा करीब 18 महीने बाद विदेशी टूर्नामेंट में हिस्सा ले हे हैं। हालांकि लंबे समय से किसी भी इंटरनेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा न लेनेे के कारण उन्हें ज्यादा तैयारी करने का मौका नहीं मिला। अब उन्होंने लिस्बन में विदेशी टूर्नामेंट में हिस्सा लेकर वापसी की है। लिस्बन में नीरज चोपड़ा ने 83.18 मीटर की थ्रो के साथ जीत हासिल की। पहले प्रयास में उन्होंने 80.71 मीटर भाला फेंका। वहीं छठे और अंतिम प्रयास में उन्होंने 83.18 मीटर का थ्रो किया। हालांकि उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि उनका यह प्रदर्शन इस साल मार्च में पटियाला में उनके निजी सर्वश्रेष्ठ 88.07 मीटर से करीब पांच मीटर कम था।
अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कौन पदक जीतेगा
तैयारियों और प्रदर्शन पर उठ रहे सवालों का नीरज चोपड़ा ने जवाब दिया। वहीं पदक जीतने की संभावना पर चोपड़ा ने कहा कि इस समय दुनिया में जेवलिन थ्रो का स्तर ऊंचा हो गया है। नीरज चोपड़ा का कहना है कि अभी दुनिया में 7-8 एथलीट ऐसे हैं, जो 85 मीटर से ऊपर भाला फेंक रहे हैं। ऐसे में अभी से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि कौन पदक जीतेगा।
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कोच ने दी थी सलाह
इसके साथ ही नीरज चोपड़ा ने खुलासा करते हुए बताया कि उनके कोच ने उनसे मीटिंग किदादे डी लिसबोआ टूर्नामेंट में अपना 100 फीसदी नहीं देने की सलाह दी थी। नीरज ने बताया कि उनके कोच ने कहा था कि फील्ड इतनी मजबूत नहीं है इसलिए उन्होंने नीरज को प्रतियोगिता में अपना 100 फीसदी नहीं देने की सलाह दी थी। साथ ही नीरज का कहना है कि टूर्नामेंट को उन्होंने रूटीन ट्रेनिंग के रूप में लिया, लेकिन वह अगले सप्ताह स्वीडन में होने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ज्यादा प्रयास करेंगे।
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18 महीने बाद की वापसी
भारत के भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने करीब 18 महीने के बाद लिस्बन प्रतियोगिता से विदेशी टूर्नामेंट में वापसी की है। इससे पहले उनका आखिरी विदेशी टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका का घरेलू मीट था, जो जनवरी 2020 में हुआ था। जनवरी 2020 के बाद नीरज ने कोरोना की वजह से किसी भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया। वहीं नीरज का कहना है कि उन्हेें उम्मीद है कि 22 जून को स्वीडन में होने वाली प्रतियोगिता कठिन होगी और वे इसके लिए तैयार हैं।
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