Satna के रामलोटन ने जड़ी-बूटियों को सहेजने खेत को बना दिया औषधि पार्क, घर को बीज म्यूजियम
सतना. यदि मन में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कामयाबी पैसे की मोहताज नहीं होती। इसे सिद्ध कर दिखाया है जिले के उचेहरा विकासखंड के पिथौराबाद गांव निवासी रामलोटन कुशवाहा ने। महज दूसरी कक्षा तक पढ़े-लिखे, एक एकड़ जमीन में खेतीबाड़ी कर परिवार का गुजर-बसर करने वाले रामलोटन ने विलुप्त होती वन औषधियों का मर्म समझा और उन्हें सहेजने के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन को औषधि पार्क और खपरैल मकान को बीज म्यूजियम बना लिया। आसपास के गांवों में देसी वैद्य व जड़ी-बूटियां सहेजने वाले के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाला यह छोटा सा किसान रविवार की सुबह अचानक तब पूरे देश में छा गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में रामलोटन कुशवाहा द्वारा वन औषधियों को सहेज कर पर्यावरण संरक्षण में दिए गए योगदान की प्रसंशा करते हुए लोगों से उनका अनुशरण करने की अपील की।
एेसे जगी वन औषधि सहेजने की ललक
दांत दर्द, वात एवं अन्य बीमारियों का देसी इलाज करने वाले किसान रामलोटन ने बताया कि पहले उन्हें इलाज के लिए जड़ी-बूटी एवं कंद गांव के आसपास स्थित जंगल में ही मिल जाते थे। एक दशक पूर्व जंगलों की अंधाधुंध कटाई से अधिकांश जड़ी-बूटी विलुप्त होने लगी। जब उन्हें जंगल में दिनभर ढंूढऩे के बाद भी कई जड़ी-बूटियां नहीं मिलीं तो उनकी चिंता बढ़ गई। तब मानव जीवन को बचाने विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों को सहेजने की ठानी और उन्हें जंगल से लाकर अपने खेत में सहेजना शुरू किया। देखते ही देखते उनकी बगियां वन औषधि पार्क में तब्दील हो गई।
१५० प्रकार की वन औषधियां संरक्षित
वर्तमान में रामलोटन की बगियां में लगभग १५० प्रकार की वन औषधियां संरक्षित हैं। इनमें १२ प्रकार के जंगली कंद और दो दर्जन से अधिक विलुप्त प्राय हो चुके जंगली पौधे शामिल हैं। इस किसान की बगियां में देशभर में विलप्त होती जा रही सभी वन औषधियां उपलब्ध होने के कारण गांव में एक कहावत प्रचलित है-जो कहउ न मिली व रामलोटन के बगिया म मिली।
बीज सहेजने ४० जिलों की यात्रा
जड़ी बूटियों एवं औषधीय फल-सब्जी के बीजों को सहेजने रामलोटन ने वर्ष २०१६ में जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद्मश्री बाबूलाल दाहिया के साथ प्रदेश के ४० जिलों की यात्रा करते हुए जड़ी-बूटियों एवं औषधीय महत्व की सब्जियों के बीज इक_ा किए। उन्हें लाकर अपनी बगियां में संरक्षित किया। रामलोटन ने बगिया में लगी जड़ी बूटियों एवं विलुप्त हो रही देसी सब्जियों के फल, पत्ते एवं बीज को संरक्षित करने अपने आवास को बीज म्यूजियम में तब्दील कर दिया है। इनके बीज म्यूजियम में १२ प्रकार की देसी लौकी, ५ प्रकार की सेमी, ८ प्रकार के बैंगन व ६ प्रकार की देसी भिंडी के बीज संरक्षित हैं।
बगियां में दुर्लभ जड़ी बूटियों की बहार
रामलोटन की बगियां में एक सैकड़ा से अधिक औषधीय पौधे हैं। इनमें काली मुसली, सफेद पलास, दहिमन, मेदा, कुम्ही, सादन, बीजा ओदार, भेड़ार, मैनहर, खूझा, बोथी, कसही, बरौता, राजमकोर की किस्में आदि। इनके अलावा बराही कंद, खनुआ, बैचंदी, तीखुर, सफेद मुसली, केवकंद, सफेद भटकैया, सफेद घुघची, काली घुघची सहित अनेक जड़ी बूटियां और लताएं मौजूद हैं।
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