60 वैक्सीन वैन का 40 हजार किमी का सफर, तब आप तक पहुंचता है टीका
भोपाल. कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं। प्रदेश में अब तक तीन करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि वैक्सीन वैन द्वारा 40 हजार किमी का सफर तय करने के बाद वैक्सीन का डोज आप तक पहुंच पाता है। एनएचएम की समीक्षा के दौरान यह जानकारी सामने आई। मालूम हो कि प्रदेश के प्रत्येक सेंटर तक वैकसीन पहुंचाने के लिए 60 वैक्सीन वैन लगातार दौड़ती रहती हैं।
ऐसा है 40 हजार किमी का सफर
स्टेट कोल्ड चेन ऑफि सर डॉ. विपिन श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में सात बड़ी वैक्सीन वैन हैं, जो भोपाल से भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, उज्जैन, रीवा संभागों में वैक्सीन स्टोर तक इसे पहुंचाती हैं। यहां से 51 छोटी वैक्सीन वैन 51 जिलों और 313 ब्लॉक तक वैक्सीन पहुंचाती है। ब्लॉक से सेंटर तक छोटे वाहन और बाइक जाते हैं। भोपाल के एयरपोर्ट से ग्रामीण क्षेत्रों तक वैक्सीन पहुंचाने में सभी वाहन कुल 40 हजार किमी का सफर तय करते हैं।
संकट की आहट
स्थिति 30 जुला. 29 जुला.
घरों में सर्वे 1182 1151
घरों में लार्वा 117 122
बर्तनों में सर्वे 9390 9465
बर्तनों में लार्वा 138 144
अब तक की स्थिति
घरों में सर्वे 125175
घरों में लार्वा मिला 5621
बर्तनों में सर्वे 999754
बर्तनों में लार्वा 6258
कोरोना के साथ डेंगू हुआ तो होगा जानलेवा
डॉ क्टरों का मानना हे कि शरीर में एक साथ दो बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं। दरअसल कोरोना के रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में डेंगू बैक्टीरिया ऐसे लोगों पर दोगुनी क्षमता से असर करते हैं। डेंगू की वजह से ब्लड में प्लेटलेट्स कम होने लगती हैं, जबकि कोविड ब्लड में थक्का बनने की क्षमता कम हो जाती है। इससे रक्त संबंधित बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
संक्रमित लोगों ने नहीं लगवाई थी वैक्सीन
वैक्सीन की अहमियत धीरे धीरे समझ आने लगी है। वैक्सीन लगवाने के बाद व्यक्ति कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित है। अगर वैक्सीनेशन के बाद किसी को संक्रमण होता भी है तो ज्यादा गंभीर नहीं होगा। यह जानकारी शुक्रवार को हुई रिव्यु मीटिंग में दी गई। मीटिंग के दौरान हाल ही में संक्रमित मिले करीब 576 कोरोना मरीजों की जानकारी दी गई।
इसमें बताया गया कि इनमें से 305 यानी 54 फीसदी मरीजों ने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली। वहीं 34 फीसदी यानी 194 मरीजों को एक डोज लग चुका था। वहीं सिर्फ 68 मरीज (12 फीसदी) ही ऐसे थे जिन्हें दोनों डोज लग चुके हैं। बड़ी बात यह है इनमें से सिर्फ एक कोई गंभीर नहीं हुआ। हालांकि यह नहीं पता चल सका कि यह 576 मरीज किस समय चिन्हित किए गए थे और किस आधार पर इनका चुनाव हुआ।
Source: Education