fbpx

Corona affects Spermatogenesis: फेफड़ों के साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या को भी प्रभावित करता है कोरोना

नई दिल्ली। कोरोना आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन हाल ही में विशेषज्ञों ने कहा है कि यह महामारी अस्थायी रूप से शुक्राणुजनन (spermatogenesis) की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है।
डॉक्टरों ने कहा, ‘कोरोना के ठीक होने के बाद शुक्राणुओं की सामान्य संख्या को लौटने में दो-तीन महीने लगते हैं।’

पहले के अध्ययनों से पता चला है कि वायरल रोग जैसे हेपेटाइटिस सी, ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी), हर्पीज और इबोला जैसी बीमारियां शुक्राणुजनन, शुक्राणुओं की संख्या, हार्मोन का स्तर और शुक्राणु (Sperm) की गतिशीलता को प्रभावित करती हैं। डॉक्टरों ने कहा कि यही पैटर्न Sars-Cov-2 से संक्रमित पुरुष रोगियों में भी देखा जा रहा है, जो कोरोना वायरस के कारण बनता है।

Read More: Increase sperm motility: हफ्तेभर में शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ा देगा ये आहार

डॉ ऋचा जगताप (नैदानिक निदेशक, सलाहकार प्रजनन चिकित्सा एवं नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी) ने कहा, ‘कोरोना के कारण बुखार होती है, जो एक रोगी में शुक्राणुजनन को प्रभावित करती है। हमने देखा है कि संक्रमण के बाद ठीक हुए मरीजों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, लेकिन यह अस्थायी है।’

Read More: आपका खून ही बढ़ाएगा स्पर्म, दूर होगा बांझपन

डॉक्टर ने दोहराया कि यह कहा जा सकता है कि कोविड -19 प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, लेकिन यह सिर्फ अस्थायी है।

Corona Affects Spermatogenesis: Corona Affects Sperm Count Along With Lungs

इंदिरा आईवीएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक डॉ क्षितिज मर्डिया ने भी इसी तरह का विचार रखा है। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि पुरुष कोरोना संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो अल्पकालिक शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। लेकिन दो-तीन महीने में वे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। मैंने किसी भी मरीज में कोई स्थायी क्षति नहीं देखी है।”

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ (NIRRH) के एक शोधकर्ता ने कहा, ‘कुछ शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि प्रजनन अंगों में ACE2 (एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2) रिसेप्टर्स होते हैं जो Sars-Cov-2 के लिए एक प्रवेश बिंदु प्रदान करते हैं। दुनिया भर के शोधकर्ताओं ने संक्रमित पुरुषों में प्रजनन अंगों में वायरस पाया है। इसलिए, इस बात की संभावना है कि वायरस शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकता है, लेकिन इस पर और रिसर्च की आवश्यकता है।’

Read More: डेल्टा वेरिएंट के प्रसार को जड़ से खत्म करेगा इजराइल, 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को लगेगी कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज

डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज अगर संक्रमण से उबरने के बाद अपने यौन व्यवहार में या गर्भावस्था की योजना बनाते समय किसी भी तरह के बदलाव का सामना करते हैं तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।



Source: Health