fbpx

NagPanchami : जानें किन परिस्थितियों में शुभ व अशुभ होता है कालसर्प योग

Kalsarp Yoga Effects : भारतीय संस्कृति में नागों को इंसानों से उच्च श्रेणी का माना जाता है। एक ओर जहां इनका लोक यानि नागलोक को मृत्यु लोक से उपर माना गया है, वहीं हिंदुओं में नाग पूजा की परंपरा भी है। इसी के चलते नागपंचमी को एक पर्व भी माना गया है। वहीं गरुड़ पुराण में भी नागदेव की नाग पंचमी के दिन पूजा सुख शांति का कारक मानी गई है।

वहीं ज्योतिष में राहु और केतु की एक निश्चित स्थिति पर कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस कालसर्प योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जब सभी 7 मुख्य ग्रह राहु व केतु (राहु केतु को मिलाकर पूरे 9) के बीच में आ जाते हैं।

Rahu Ketu are the main cause of Kaal Sarp Yoga, know the remedies

इसमें राहु को सर्प का मुंह व केतु को पूंछ माना गया है। ऐसे में जहां कुछ लोग कालसर्प को दोष मानते हुए इसे कालसर्प दोष नाम देते हैं तो वहीं कुछ इसे विशेष योग मानते हुए कालसर्प योग कहते है।

पंडित एके शुक्ला के मुताबिक ज्योतिष में पांच सैंकड़ा से भी ज्यादा तरह के कालसर्प योग माने गए हैं। इनमें कुंडली के लग्न से 12वें स्थान तक मुख्य रूप से 12 तरह के सर्प योगों को शामिल किया गया है। जिनमें अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापदम, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, पातक, विशांत और शेषनाग मुख्य है। ऐसे में नागपंचमी के दिन कालसर्प योग के दोष निवारण के लिए सर्प की पूजा सबसे खास मानी जाती है।

वहीं जानकारों के अनुसार कालसर्प एक योग होने के साथ ही दोष भी है। इसका कारण यह है कि जहां एक ओर यह कुछ शुभता लाता है तो वहीं इसके कुछ अशुभ परिणाम भी सामने आते हैं। कालसर्प के संबंध में माना जाता है कि ये कभी व्यक्ति को संतुष्ट नहीं होने देता।

Must Read- इस मंदिर के दर्शन मात्र से दूर हो जाता है कालसर्प का प्रभाव

Shiv temple

ऐसे में जहां व्यक्ति में लगातार आगे बढ़ने की लालसा उसे और ज्यादा मेहनत व नए अविष्कारों की ओर प्रेरित करती है। वहीं इसके अलावा कई बार अत्यधिक मेहनत के बावजूद व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाता।

वहीं असंतुष्टि के कारण वह कभी चेन से नहीं रह पाता और कई बार तो संतुष्टि न मिलने के चलते वह गलत रास्तों की ओर भी बढ़ जाता है। इस बात को हम इस तरह समझ सकते है कि अति हर चीज की बुरी होती है।

वहीं कालसर्प दोष के संबंध में ये भी कहा जाता है कि यह योग जिसकी भी कुण्डली में होता है उसे जीवन भर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को सफलता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद एक दिन जमीन पर आना होता है। यानि अर्श से फर्श तक का फांसला भी तय करना ही होता है।

Must Read- इस दिन तक जन्म लेने वाले सभी नवजातों की कुंडली में रहेगा कालसर्प दोष

shrawan Kalsarp Dosh

जानें: कालसर्प योग कब शुभ कब अशुभ
वहीं कुछ जानकारों के अनुसार इसकी शुभता और अशुभता अन्य ग्रहों के योगों पर भी निर्भर करती है। इसके अनुसार जब कभी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग में पंच महापुरुष योग, रुचक, भद्र, मालव्य व शश योग, गज केसरी, राज सम्मान योग महाधनपति योग बनते हैं, तो ऐसी स्थिति में वह उन्नति करता है। लेकिन, वहीं जब कालसर्प योग के साथ ग्रहण, चाण्डाल, अशांरक, जड़त्व, नंदा, अंभोत्कम, कपर, क्रोध, पिशाच जैसे अशुभ योग बनते हैं तो वह अनिष्टकारी हो जाता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कालसर्प दोष जिनकी कुण्डली में मौजूद है उन्हें सावन के महीने में भगवान शिव का नियमित जलाभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को नागों का देवता माना जाता है, ऐसे में सावन मास इस दोष के निवारण के लिए सबसे अच्छा माना गया है। जिसे इस योग के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

इस दोष का बुरा प्रभाव शिव के प्रसन्न होने मात्र से कम हो जाता है। वहीं नागपंचमी का त्योहार भी सावन महीने में ही आता है। इस दिन तांबे का नाग बनवाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से कालसर्प दोष की शांति होती है। माना जाता है कि हर रोज शिवलिंग की पूजा के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी इसका दोष दूर होता है।



Source: Religion and Spirituality