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आखिर क्यों JEE Main के टॉपर दोबारा परीक्षा में हो रहे हैं शामिल? जानिए ये हैं कारण

नई दिल्ली। इस साल फरवरी में आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) में प्रवर कटारिया ने 100 पर्सेंटाइल हासिल करा। मगर 17 वर्षीय छात्र ने अप्रैल सत्र के लिए दोबार परीक्षा दी और फिर टॉप किया। कटारिया के अनुसार वह महामारी के दौरान जेईई एडवांस की तैयारी को लेकर अपने कंसेप्ट को बेहतर बनाने के लिए दूसरे प्रयास में शामिल हुए।

इसी तरह, एक और छात्रा काव्या चोपड़ा ने फरवरी सत्र में 99.98 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, लेकिन मार्च में उसने दोबारा परीक्षा देने का प्रयास किया।इस बार चोपड़ा ने एक बेंचमार्क स्थापित किया है और 300/300 का स्कोर किया, ऐसा करने वाली वह पहली लड़की बनीं।

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अधिकतर छात्र अपने स्कोर में सुधार चाहते हैं

कुछ के लिए, पूर्ण अंक प्राप्त करना उपलब्धि की बात है, अन्य लोग आगामी प्रवेश परीक्षाओं के खुद को तैयार करने के लिए या परीक्षा की चिंता को दूर करने के लिए जेईई में बैठना चाहते हैं। मगर अधिकतर छात्र अपने स्कोर में सुधार करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जेईई मेन की अंतिम मेरिट सूची तैयार करने के दौरान सर्वश्रेष्ठ चार प्रयासों पर विचार किया जाएगा।

जेईई मेन साल में चार बार- फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में- एनआईटी / आईआईआईटी और जीएफटीआई में बीटेक और बीई पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित किया जाता है। इस वर्ष अप्रैल सत्र जुलाई में और मई सत्र अगस्त-सितंबर में आयोजित होगा।

लगभग 36,000 छात्र जेईई एडवांस्ट के लिए सफल होते हैं

करीब 10 लाख से अधिक छात्रों में से लगभग 2.4 लाख आईआईटी जेइई एडवांस के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं। अंतिम स्कोर की घोषणा मई के प्रयास के बाद राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency) द्वारा तय की जाएगी। हर साल, लगभग 36,000 छात्र 23 IIT और ISM धनबाद में प्रवेश (लगभग 16,053 सीटें) के लिए JEE एडवांस्ड में सफल होते हैं। एडवांस्ड के लिए कट-ऑफ आवेदकों और सीटों की कुल संख्या के साथ पिछले वर्ष के कट-ऑफ रुझान पर निर्भर करता है।

मेन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए

विशेषज्ञों के अनुसार, जिन लोगों ने 95 पर्सेंटाइल से ऊपर स्कोर किया है,वे पहले से ही जेईई-एडवांस्ड के लिए पात्र हैं और उन्हें अब मेन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। फिटजी विशेषज्ञ रमेश बटलिश के अनुसार जो छात्र जेईई मेन में अपना स्कोर और रैंक सुधारना चाहते हैं, वे कई प्रयास करते हैं। जो छात्र आईआईटी में सीट के पसंदीदा विकल्प को लेकर आशंकित हैं। वे इस साल जेईई मेन के कई प्रयासों को एनआईटी /आईआईआईटी और जीएफटीआई के लिए एक बैकअप विकल्प को लेकर चल रहे हैं।

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तीन जेईई मेन प्रयासों में लगातार 99.99 प्रतिशत हासिल किए

एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में एडवांस्ड के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। इसलिए जेईई मेन में कम पर्सेंटाइल पाने वाले छात्रा परीक्षा में दोबारा शामिल होते हैं। ये जेईई एडवांस में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आंध्र प्रदेश के एस हर्ष वर्मा ने 2021 में अपने सभी तीन जेईई मेन प्रयासों में लगातार 99.99 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। वर्मा एक पूर्ण स्कोर के लिए एक और प्रयास की योजना बना रहे हैं। मगर उनका ध्यान जेईई एडवांस पर है।

आकाश इंस्टीट्यूट के राष्ट्रीय शिक्षा निदेशक अजय कुमार शर्मा का कहना है कि अगर किसी छात्र को जेईई मेन में 500 से कम लेकिन एडवांस में 8,000 से ऊपर रैंक मिली तो ऐसे उम्मीदवारों के पास एनआईटी में अपने पसंदीदा कोर्स में सीट हासिल करने का अच्छा मौका होगा। इसलिए मेन की रैक को सुधारने के लिए दोबारा परीक्षा देने की कोशिश होती रहती है।



Source: Education