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Mundra Drugs Haul Case: नार्को-आतंकवाद से संबंध का खुलासा, एनआईए ने अपने हाथ में लिया केस

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में 21,000 करोड़ रुपये मूल्य की करीब 3,000 किलोग्राम अफगान हेरोइन की बरामदगी की जांच को अपने हाथ में लिया है। इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय नार्को-आतंकवाद संबंध थे।

इस खेप को राजस्व और खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 14 और 15 सितंबर को विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर पकड़ा था। उन्हें जानकारी मिली थी कि ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान से गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह तक हाई क्वॉलिटी वाली हेरोइन की तस्करी की जा रही थी। इसे देश में खुफिया एजेंसियों द्वारा हेरोइन की सबसे बड़ी इकलौती खेप बताया जा रहा है।

सुरक्षा और सीमा शुल्क अधिकारियों की नजर से बचाने के लिए दो कंटेनरों में क्रमशः 1,999.58 किलोग्राम और 988.64 किलोग्राम हेरोइन पैक की गई थी और इसे टैल्कम पाउडर के बीच रखा गया था। चेन्नई के एक दंपत्ति- गोविंदराजू दुर्गा पूर्ण वैशाली और उनके पति मचावरम सुधाकर सहित कम से कम आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने अपनी विजयवाड़ा की पंजीकृत फर्म- आशी ट्रेडिंग कंपनी के माध्यम से कंधार स्थित एक कंपनी से सेमी-प्रोसेस्ड टैल्क स्टोन्स में छिपाई गई हेरोइन का आयात किया। डीआरआई ने अब तक चार अफगान नागरिकों, एक उज़्बेक महिला और अन्य को भी गिरफ्तार किया है।

हेरोइन

वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गृह मंत्रालय ने जांच को एनआईए के हवाले करने का फैसला किया है, क्योंकि तस्करी को लेकर स्पष्ट तौर पर आतंकवादी लिंक सामने आया है। एजेंसियां तालिबान-पाकिस्तान के एंगल से जांच भी कर रही हैं।

वैशाली और सुधाकर को छोटा प्यादा माना जा रहा है। उन्हें हेरोइन की तस्करी के लिए अपने टेल्क पत्थरों के कंटेनरों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर केवल 10 से 12 लाख रुपये का ही कमीशन मिलता था। अधिकारी ने बताया कि इस खेप के पीछे अफगान तस्करों के एक बड़े नेटवर्क के होने का संदेह है।

जांच में पता चला है कि वैशाली और सुधाकर को अफगानिस्तान और ईरान में रहने वाले लोगों से निर्देश मिल रहे थे। दूसरे अधिकारी ने कहा कि आयात की आड़ में इससे पहले ड्रग्स की तस्करी में भी उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।



Source: National

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