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दुनिया की सबसे छोटी गीता, लंबाई 2.5 और चौड़ाई मात्र 2 सेंटीमीटर, बिना सूक्ष्मदर्शी के नहीं पढ़ सकते इसके 18 अध्याय

बालोद. आपने दुनिया की सबसे छोटी गीता के बारे में सुना होगा। लेकिन शहर के सराफा व्यापारी शंकर लाल श्रीश्रीमाल के पास 2.5 सेंटीमीटर लंबी और दो सेंटीमीटर चौड़ी गीता सुरक्षित रखी हुई है। शंकर लाल श्रीश्रीमाल ने दावा किया है कि ये दुनिया की सबसे छोटी गीता है। यह गीता देश में मौजूद उन सभी गीता में शामिल हो सकती है, जिसे वर्ष 1956 में भारतीय प्रेस मुंबई ने प्रकाशित किया था।

55 साल पहले काका ने दी थी यह गीता
दावा है कि इसकी कुल 100 प्रतियां ही प्रकाशित की गई थीं, जिसमें से अब गिनी चुनी बची हैं। ये केवल उन्हीं लोगों के पास सुरक्षित हैं, जो इसका ख्याल अपनी जान से भी ज्यादा रखते हैं। शंकर लाल श्रीश्रीमाल के काका हीरे जवाहरात का काम करते थे। उनके काका राजा रजवाड़े में घूमते रहते थे। कोई चीज उनको मिलती थी तो वो उसे घर लाकर सुरक्षित रख लेते थे। यह किताब उनके काका ने उन्हें 50 से 55 साल पहले दी थी। तभी से उनके पास सुरक्षित है। इस गीता की प्रतिदिन पूजा की जाती है। इसको बक्से में रखा गया है ताकि कीड़ों और सडऩ से बचाया जा सके।

100 पेजों में समाई है संपूर्ण गीता
दुनिया की सबसे छोटी पुस्तक 100 पेजों में है। इसमें संपूर्ण गीता समाई हुई है। दावा है कि यह भारत की सबसे छोटी श्रीमद् भागवत गीता में से एक है। इसकी केवल 100 ही प्रतियां प्रकाशित की गई थीं। जिन्हें भारत के अलग-अलग पुस्तकालयों में रखा गया। ये पुस्तकें उत्तरप्रदेश में दो या तीन ही प्रतियां हैं। लंबाई 2.5 सेमी और चौड़ाई 2 सेमी है। खासियत ये है कि इसे बिना सूक्ष्मदर्शी लैंस के नहीं पढ़ा जा सकता। जिनकी आंखों की रोशनी सही हो वो बिना लैंस के पढऩे की कोशिश कर सकते हैं। इसको देखने के बाद ऐसा नहीं लगता है इसमें गीता के 18 अध्याय हो सकते हैं। इसे देखने के लिए कई लोग दूर-दूर से आते हैं।



Source: Education