Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को जहां एक ओर करवा चौथ पड़ता है, वहीं इस दिन गणेश चतुर्थी / संकष्टी चतुर्थी का पर्व भी होता है। जिसके चलते इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है।
सनातन धर्म में श्री गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना गया है। इसी के चलते हर शुभ कार्य के पूर्व भगवान श्रीगणेश की स्तुति और स्मरण किया जाता है। ऐसे में आज यानि रविवार,24 अक्टूबर 2021 को करवा चौथ के साथ ही संकष्टी चतुर्थी का भी विशेष पर्व है।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि शुरु – रविवार,24 अक्टूबर 2021, 03:01 AM से।
चतुर्थी तिथि का समापन – सोमवार, 25 अक्टूबर 2021 को 05:43 AM तक।
संकट चतुर्थी के इस अवसर पर आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसका इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा है। तो वहीं मूर्ति का निर्माण 1857 में हुआ था ।
दरअसल मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में बुधवार का दिन गणेश भक्तों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं होता है। इंदौर के अतिप्राचीन मंदिर ‘बड़ा गणपति’ का इतिहास एक स्वप्र से जुड़ा है।
कहा जाता है मंदिर की आधारशिला के पीछे गणेशजी के भक्त उज्जैन निवासी दिवंगत पं. नारायण दाधीच के द्वारा देखा गया एक स्वप्र है। भगवान गणेश ने नारायण को ऐसी ही एक मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। इसके बाद गणेशजी के इस भक्त ने अपने सपने की गणेश प्रतिमा को साकार रूप देने की ठानी। इसके बाद ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
मूर्ति निर्माण में लगे थे तीन साल
मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1901 में पं. नारायण दाधीच ने पूरा किया था। मूर्ति 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजमान है। मूर्ति के निर्माण में करीब 3 साल लगे थे।
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25 फीट ऊंची बड़ा गणपति की प्रतिमा का 8 दिन में होता है श्रृंगार
मंदिर के पुजारी बताते है कि 25 फीट ऊंचे गणेशजी का श्रृंगार करने में करीब 8 दिन का समय लगता है। साल में चार बार यहां चोला चढ़ाया जाता है, जिसमें भाद्रपद की सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैसाख पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। इसमें करीब सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है।
सोना, चांदी और पीतल, तांबा से बनी है मूर्ति : मंदिर में 25 फीट ऊंची गणेश मूर्ति है। इस मूर्ति का निर्माण 1875 में किया गया था। मूर्ति को चूना पत्थर, गुड़, रेत, मैथीदाना, ईंट और पवित्र मिट्टी, सोना, चांदी, लोहा, अष्टधातु, नवरत्न पीतल, तांबे, लोहा पवित्र नदियों के जल से तैयार किया गया है।
लगी रहती है भक्तों की भीड़ : यूं तो हर रोज पूरे शहर के लोग इस अलौकिक प्रतिमा के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन गणेशोत्सव और बुधवार के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। भक्तों के कल्याण के लिए मंदिर में बालाजी का मंदिर भी बना है।
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ऐसे समझें संकष्टी चतुर्थी का महत्व
इस दिन जो भी विघ्नहर्ता गजानन की पूजा-अर्चना करता है, मान्यता के अनुसार गजानन उसकी सभी कामना पूर्ण करते हैं। यह भी माना जाता है कि गणेश जी इस दिन पूजा करने से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान के पश्चात साफ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान पर गंगाजल अर्पित करते हुए उन्हें स्नान करना चाहिए, जिसके पश्चात उन्हें पुष्प अर्पित करें। फिर गणेश जी को सिंदूर चढ़ाने के बाद भोग लगाएं।
माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसे भगवान गणेश को इस दिन उनकी प्रिय चीजों को भोग लगाने के साथ ही दूर्वा भी अर्पित करनी चाहिए।
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करवा चौथ का व्रत : वहीं इस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही करवा चौथ का व्रत भी रखा जाता है। इस दिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और जीवन में सफलता के लिए इस व्रत को बिना जल और अन्न को ग्रहण किए हुए पूर्ण करती है।
Source: Dharma & Karma