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अलवर के किसानों को रास आई मशरूम की खेती

प्रदीप यादव
अलवर. जिले के किसानों का रूझान परम्परागत खेती के साथ मशरूम की खेती की तरफ बढ़ रहा है। किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि जिले में अभी कुछ क्षेत्रों में किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं, लेकिन इसमें पचास प्रतिशत तक मुनाफा होने से अन्य किसान भी इस खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं।
शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बीजवाड़ गांव में किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं। शुरुआत में इस फसल को करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है। किसान थोड़ी सी जगह में इस खेती की शुरुआत कर रहे हैं। फसल से अच्छा मुनाफा होने पर मशरूम की खेती का दायरा बढ़ा रहे हैं। किसान मशरूम का बीज उत्तराखण्ड से ला रहे हैं और यहां झोपडिय़ां बनाकर इसकी खेती कर रहे हैं। मशरूम को किसान दिल्ली, जयपुर सहित अन्य कई शहरों में बेचा जा रहा है।
मुंडावर उपखंड के गांव बल्लूवास के रहने वाले किसान सुभाष चंद यादव ने बताया कि उन्होंने मशरूम की खेती तीन साल पहले वर्ष 2018 में शुरू की। उन्होंने शुरुआत में 200 से 300 वर्ग फीट में मशरूम की खेती की। उन्होंने बताया कि लगभग दस हजार रुपए की लागत से 50 से 60 हजार रुपए तक का मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि परम्परागत खेती के साथ वे मशरूम की खेती को भी तवज्जो दे रहे हैं। छोटे किसानों के लिए यह फसल लाभदायक है। मशरूम के फसल को वे बहरोड़, अलवर, खैरथल सहित अन्य जगहों पर बेच रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अलवर जिले में मुण्डावर, बीजवाड़, नीमराणा सहित कई स्थानों पर इस खेती में किसान रूझान दिखा रहे हैं। इस खेती से साधारण मेहनत और कम जगह में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

तीन प्रकार की मशरूम
व्यवसायिक रूप से तीन प्रकार की मशरूम उगाई जाती है। बटन मशरूम अक्टूबर मार्च में उगाई जाती है। ओएस्टर मशरूम बारह महीने उगाई जाती है और मिल्की मशरूम गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। तीनो प्रकार की मशरूम को किसी भी हवादार कमरे या सेड में आसानी से उगाया जा सकता है।

तीन महीने में फसल तैयार
यह फसल बड़े पैमाने पर नहीं होती लेकिन कुछ किसान अब मशरूम की खेती उगा रहे हंै। बीज बौने से लेकर पैदा होने तक तीन महीने में फसल तैयार होती है।

चलाया जा रहा अभियान
किसानों को भी मशरूम की खेती को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ सकें। छोटे किसानों के लिए यह काफी हितकर साबित होता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे लाभकारी उत्पादों की जानकारी दी जाती है।



Source: Education