लिवर सिरोसिस के मरीज एेसे रखें अपनी डाइट का ध्यान
लिवर सिरोसिस धीमी गति से बढऩे वाला रोग है जिसमें प्रभावित व्यक्ति का लिवर वास्तविक आकार में नहीं रहता बल्कि सिकुड़कर कठोर हो जाता है। रोगी के लिवर की काशिकाएं नष्ट होकर फाइबर तंतुओं का रूप लेने लगती हैं। ये तंतु स्वस्थ लिवर के ऊत्तकों को नष्ट कर देते हैं। जिससे इसकी कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस रोग में संतुलित खानपान की अहम भूमिका है। साथ ही परहेज करना काफी राहत देता है।
एक दिन की डाइट…
600 एमएल टोंड दूध
(दही, दूध, पनीर), या 4-6 अंडे
अनाज- (आटा, चावल,दलिया, सूजी, ओट्स)150 ग्राम
दालें – 150 ग्राम (सूप, स्प्राउट्स आदि)
सब्जियां – 500 ग्राम (सूप, सलाद, पकी हुईं),
तेल-सूखे मेवे – 25 ग्राम
फल -300 ग्राम
चीनी 30 ग्राम (6 चम्मच)
नमक – 2 ग्राम
रोग का इलाज-
निम्न तरीकों से इलाज होता है:
1. रोग के कारण का इलाज,
2. सपोर्टिव ट्रीटमेंट,
3. लिवर ट्रांसप्लांट,
4. संतुलित डाइट।
खानपान में परहेज इस रोग को बढ़ने से रोकता है। डाइट में नमक कम और सब्जियां व दूध से बनी चीजें ज्यादा लें। सही डाइट से लिवर सिरोसिस के मरीजों का बेहोशी से भी बचाव होता है। कुछ समय पहले तक मरीजों को बेहोशी से बचाने के लिए प्रोटीन कम मात्रा में देते थे। लेकिन नए शोध के अनुसार प्रोटीनयुक्त चीजें ज्यादा देनी चाहिए।
खानपान में रखें ध्यान-
प्रोटीन
ये लें : टोन्ड दूध, इससे बने उत्पाद और अंडे।
न लें : मांसाहार, भैंस का दूध, फुल क्रीम दूध (अधिक वजन वाले)।
पेय पदार्थ-
ये लें : मीठी लस्सी, वेजीटेबल सूप, नारियल पानी पीएं।
न लें : शराब, नमकीन लस्सी, कार्बोनेटेड ड्रिंक।
वसा-
ये लें : सोयाबीन, सरसों, ऑलिव ऑयल, बादाम, मूंगफली, किशमिश।
न लें : घी, तला भोजन, डालडा घी (मोटापे और फैटी लिवर के मरीज)।
डिब्बाबंद भोजन-
ये लें : कॉर्नफ्लैक्स और ओट्स।
न लें : अचार, पापड़, नमकीन, पॉपकॉर्न, बेकरी उत्पाद लेने से परहेज करें।
रोग के कारण –
हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी वायरल संक्रमण।
लिवर से रक्त ले जाने वाली नस में रुकावट, अन्य कारण (हीमोक्रोमेटोसिस, विल्सन डिजीज, ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस या हानिकारक दवाइयां।
Source: Health