fbpx

आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों के बारे में बात करना बेकार है: सद्गुरु

इन दिनों ज्ञानवापी के अलावा कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के दावे को लेकर आए दिन बहस देखने को मिल रही है। दिल्ली का कुतुब मीनार और हैदराबाद के मस्जिद में भी हिन्दू देवी देवताओं के निशान होने तक को लेकर चर्चा है। ऐसे में मंदिर-मस्जिद का विवाद अब हर दिन नए तरीके से देखने को मिल रही हैं। इस बीच एक आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु का कहना है कि अब उन हजारों मंदिरों के बारे में बात करना बेकार जो आक्रान्ताओं द्वारा तोड़े गए थे। इसके पीछे का तर्क उन्होंने ये दिया है कि इतिहास को फिर से नहीं लिखा जा सकता है।

क्या कहा सद्गुरु ने?
एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इन्टरव्यू में सद्गुरु ने कहा, “आक्रमणों के दौरान हजारों मंदिरों को तोड़ा गया था। हम तब उनकी रक्षा नहीं कर सकते थे। अब, उनके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप इतिहास को फिर से नहीं लिख सकते हैं।”

राष्ट्र के लिए सोचें
उन्होंने आगे कहा, “दोनों समुदायों [हिंदुओं और मुसलमानों] को जो दो तीन प्रतिष्ठित स्थल हैं उसे कैसे सुलझाएं उसके लिए एक साथ बैठक काम करना चाहिए। ये एक समय में एक साइट पर चर्चा करने और समुदायों के बीच विवाद और अनावश्यक दुश्मनी को जीवित रखने से बेहतर है। किसी भी राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा लेना तो थोड़ा देना आवश्यक होता है। हमें हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय के संदर्भ में नहीं सोचना चाहिए।”

जब सद्गुरु से ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने इसपर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

यह भी पढ़े- जानें क्या है श्रृंगार गौरी विवाद, क्यों यहां पूजा करने पर लगी थी रोक?

मीडिया को दी सलाह?
सद्गुरु ने कहा कि भारत इस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहां अगर हम एक बिंदु पर चीजें सही करते हैं, तो भारत दुनिया में एक महत्वपूर्ण ताकत बन सकता है। ऐसे में हमें हर विवाद को इतना बड़ा बनाकर इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए। मैं लोगों और समाचार एजेंसियों से ऐसे मंदिर-मस्जिद मामलों को विवादित बनाने की बजाय उसके समाधान के लिए कहता हूँ।”

यह भी पढ़े- ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर के चिन्ह मौजूद : शंकराचार्य



Source: National

You may have missed