कौन हैं गीतांजलि श्री, जिनकी नॉवेल रेत की समाधि को मिला अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज
International Booker Prize 2022: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रहने वाली हिंदी उपन्यासकार गीतांजलि श्री को रेत की समाधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है, जिसके बाद वह इसे जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। यह पुरस्कार दुनिया भर में उपन्यास के सर्वश्रेष्ठ अनुवादित कृति के लिए दिया जाता है। आपको बता दें कि गीतांजलि श्री ने इस उपन्यास में भारत के विभाजन के बारे में लिखा है, जो पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला के ऊपर लिखा गया है।
बुकर पुरस्कार ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करते हुए एक लिंक शेयर किया है, जिसमें बुक से जुड़ी कुछ बाते लिखी हुई है। इस बुक को लेकर अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के अध्यक्ष फ्रैंक वाईन ने कहा है कि यह भारत और विभाजन का एक चमकदार उपन्यास है, जिसकी मंत्रमुग्धता और उग्र करुणा युवा, पुरुष, महिला, परिवार और राष्ट्र को एक बहुरूपदर्शक में बुनती है। आइए जानते हैं कौन हैं गीतांजलि श्री जिनको अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है।
मां के पहले नाम को अपने नाम के साथ जोड़ा
उपन्यासकार गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी रहने वाली हैं, जिनका जन्म 12 जून 1957 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुई। गीतांजलि श्री ने स्रातक दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। इसके साथ ही उन्होंने सूरत के सेंटर फार सोशल स्टडीज में पोस्ट डॉक्टरल शोध किया है। आपको बता दें कि उनका नाम गीतांजलि पांडे था लेकिन उन्होंने अपनी मां के पहले “श्री” नाम को अपने नाम के लास्ट में जोड़ लिया।
1987 में प्रकाशित हुई पहली कहानी
गीतांजलि श्री की पहली कहानी बेलपत्र 1987 में हंस में प्रकाशित हुई। इसके बाद उनकी एक के बाद एक दो और कहानियां हंस में छपीं। अब तक उन्होंने पांच उपन्यास लिखा है जिसमें माई, हमारा शहर उस बरस, तिरोहित, खाली जगह, और रेत की समाधि शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने पांच कहानी भी लिखी है जिसमें अनुगूंज, वैराग्य, माँ और साकूरा, यहां हाथी रहते थे और प्रतिनिधि कहानियां शामिल हैं।
कई उपन्यास अनुवादित होकर हो चुके हैं प्रकाशित
उपन्यासकार गीतांजलि श्री दे द्वारा लिखा गया उपन्यास रेत की समाधि के अलावा माई, खाली जगह को भी अनुवाद करके प्रकाशित किया जा चुका है। खाली जगह का फ्रेंच, जर्मन और अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है। वहीं माई व रेत की समाधि भी अंग्रेजी में अनुवादित करके प्रकाशित किया जा चुका है।
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Source: National