Monkeypox Children at risk : मंकीपॉक्स का खतरा बच्चों और युवाओं में ज्यादा, स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लेने वालों पर असर होगा कम
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बड़ों की तुलना में बच्चों में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा बताया है। आईसीएमआर वैज्ञानिक डॉ अपर्णा मुखर्जी का कहना है कि बच्चे मंकीपॉक्स के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए उनमें मंकीपॉक्स तेजी से फैल सकता है।
वहीं, जिन लोगों ने स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन ली है उनमें बीमारी का असर ज्यादा नहीं होगा। आईसीएमआर का कहना है कि 1980 के दशक के बाद जिन लोगों को चेचक का टीका नहीं मिला, वो संक्रमण से लड़ने के लिए क्रॉस-इम्युनिटी देंगे। इस लिहाज से युवा भी इस बीमारी के प्रति संवेदनशील होंगे।
जानिए क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो चेचक के समान है। मंकीपॉक्स ज्यादातर जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह एक वायरल संक्रमण है, जो पहली बार 1958 में पकड़े गए एक बंदर में पाया गया था। 1970 में, पहली बार मनुष्यों में मंकीपॉक्स के संक्रमण का पता चला था।
मंकीपॉक्स के लक्षण
इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकान शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद से भरे दाने निकलने लगते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिनों के बाद सूख कर गिर जाते हैं। WHO के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से लेकर 21वें दिन तक आ सकते हैं।
जानिए कैसे फैलाता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों या संक्रमित मनुष्यों के शरीर से निकलने वाली छींक और लार से फैलता है। ये वायरस किसी सतह, बिस्तर, कपड़े या सांस के जरिए अंदर जा सकता है। यह वायरस त्वचा से त्वचा के संपर्क से भी फैलता है।
मंकीपॉक्स का इलाज:
इस वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक के टीके की कुछ खुराक दी जाती है। इसके साथ ही वैज्ञानिक इसकी एंटीवायरल दवा बनाने में भी लगे हुए हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ने मंकीपॉक्स के सभी रोगियों को क्वारंटाइन में रहने और चेचक के टीके लगाने की सलाह दी है। मंकीपॉक्स का मरीज 4 हफ्ते तक संक्रमण को फैला सकता है।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। ‘पत्रिका’ इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।
Source: disease-and-conditions