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जयपुर से डरावनी खबर, घर के बाहर खेल रहे बच्चे भी नहीं सुरक्षित

Jaipur City children dog attacks जयपुर। शहर में मासूमों पर श्वानों के हमले के मामले बढ़ते जा रहे है, लेकिन जयपुर हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम को जनता की फिक्र नहीं है। शहर में गली—मोहल्लों में सड़कों, पार्कों व सार्वजनिक जगहों पर श्वान घूमते नजर आ जाएंगे। राजधानी में दोनों ही नगर निगम श्वानों की संख्या पर काबू पाने में फेल साबित हो रही है।

श्वानों की संख्या को काबू करने के लिए 2011 में एंटी बर्थ प्रोग्राम (एबीसी) भी शुरू किया गया, लेकिन इसका भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है। पिछले चार माह से दोनों नगर निगमों में एबीसी कार्यक्रम भी बंद पड़ा है।

रजिस्ट्रेशन में भी फिसड्डी…
शहर में गली—गली में घरों में पालतू श्वान नजर आ जाएंगे, जबकि श्वानों का रजिस्ट्रेशन करने में दोनों ही निगम फेल साबित हो रहे है। राजधानी में कितने श्वान लोगों ने पाल रखे हैं, इसकी जानकारी दोनों नगर निगमों के पास नहीं है। हैरिटेज नगर निगम ने इस साल सिर्फ 35 श्वानों का ही रजिस्ट्रेशन किया गया। पिछले वित्तीय वर्ष में सिर्फ 177 श्वानों का रजिस्ट्रेशन किया था, जिन्हें भी अभी तक नवीनीकरण नहीं किया गया। जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने इस साल 90 श्वानों का रजिस्ट्रेशन किया है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 850 श्वानों का रजिस्ट्रेशन किया था।

यह है नियम…
सरकार की गाइड लाइंस के अनुसार श्वानों को उठाकर अन्य स्थान पर नहीं छोड़कर उनका बध्याकरण कर उसी स्थान पर छोड़ना जरूरी है। श्वानों का बधियाकरण के लिए एबीसी कार्यक्रम संचालित किया जाता है, लेकिन हैरिटेज और जयपुर ग्रेटर दोनों नगर निगमों में फरवरी से एबीसी कार्यक्रम भी बंद है। हालांकि एबीसी कार्यक्रम के लिए टेंडर कर रखा है, लेकिन ठेकेदार ने एबीसी कार्यक्रम बंद रखा है।

सख्ती का बनाया प्लान, कागजों तक ही सिमटा
हैरिटेज निगम ने शहर में बढ़ रही घटनाओं को लेकर श्वानों के पालने पर अकुंश लगाने के लिए प्लान तैयार किया था, इसके लिए श्वान पालने वालों पर सख्ती करने के निर्देश जारी किए थे, इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन शुल्क बढ़ाकर सालाना 500 रुपए किए थे, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की अनदेखी के चलते ये आदेश कागजों में ही सिमट कर रह गए।

जयपुर ग्रेटर आदेश निकाल भूला
जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने लोगों को पालतू श्वानों का रजिस्ट्रेशन कराने के साथ लाइसेंस लेना अनिवार्य किया था। इसके लिए नगर निगम ग्रेटर एक आदेश जारी कर श्वानों का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस नहीं कराने पर उन्हें जप्त करने और जुर्माने की कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन ग्रेटर नगर निगम आदेश निकाल भूल गया।

पिछले वित्तीय वर्ष 2021—22 में श्वानों का रजिस्ट्रेशन
— 177 श्वानों का रजिस्ट्रेशन हैरिटेज नगर निगम
— 850 श्वानों का रजिस्ट्रेशन हुआ जयपुर ग्रेटर में

नए वित्तीय वर्ष में अब तक श्वानों का रजिस्ट्रेशन
— 90 श्वानों का रजिस्ट्रेशन जयपुर ग्रेटर नगर निगम में
— 35 श्वानों का रजिस्ट्रेशन हैरिटेज नगर निगम में

एबीसी कार्यक्रम की सच्चाई
— जयपुर ग्रेटर नगर निगम में 3500 श्वानों का हुआ बधियाकरण
— हैरिटेज नगर निगम में 4050 श्वानों का हुआ बधियाकरण



Source: Education