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मां के गर्भ में ही चिल्लाना सीख जाते हैं ये बंदर, अल्ट्रासाउंड में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

किसी भी जीव जन्तु या इंसानों का जन्म बेहद खास और अद्भुत होता है। सभी का रहन-सहन अलग होता है और खान पान भी लेकिन इंसानों की तरह ही जानवरों के बच्चे भी जन्म के बाद बोलते हैं। पर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया मे एक ऐसा बन्दर भी है जो गर्भ में ही रोने की प्रैक्टिस करते हैं। है न ये हैरान कर देने वाली बात परन्तु ये सच है। इसका खुलासा हाल ही में एक अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट से हुआ है। ब्योरेक्सिव पर एक प्रिपिंट पोस्ट किया गया है जिसमे इसकी जानकारी विस्तार से दी गयी है।

इसमें बताया गया है कि कैसे मार्मोसेट भ्रूण के अल्ट्रासाउंड में इस बात का खुलासा हुआ है कि उनके शिशु गर्भ में ही रोना सीख जाते हैं। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में शोध करने वाले Behavioral Neuroscientist दर्शन नारायणन और उनके सहयोगियों ने मार्मोसेट बंदर पर स्टडी किया था। बंदरों के वॉयस कॉर्ड भी इंसानों की तरह ही विकसित होते हैं। वैज्ञानिकों को ये पता करना था कि कैसे बच्चे जन्म के बाद ही रोना सीख जाते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने मार्मोसेट बंदर का गर्भधारण के दौरान रोजाना अल्ट्रसाउन्ड किया और बदलावों को नोट किया।

इस शोध में पता चला कि गर्भधारण के 95 दिनों में पहली बार भ्रूण का चेहरा दिखाई दिया। इसके बाद वो धीरे धीरे बड़ा हुआ। जैसे जैसे उसका गर्भावस्था आगे बढ़ा उसके चेहरे के भाव और सर स्वतंत्र रूप से मूवमेंट करने लगे जिससे ये स्पष्ट हुआ कि भ्रूण अब खाने, या बोलने जैसे कामों के लिए तैयार हो रहा है। भ्रूण जैसी आवाजें निकालता है वो ठीक वैसी ही हैं जैसी मर्मोसेट बंदर एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए अलग तरह की आवाजें निकालते हैं। ये वो आवाज हैं संपर्क कॉल कहते हैं। ये आवाज सिटी जैसी होती है।

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प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी आसिफ गज़नफर, नारायणन और उनकी टीम ने इस दौरान भ्रूण के जबड़ों के मूवमेंट और बदलाव को नोट किया। इसे पूरे स्टडी में पाया गया कि कोई भी बच्चा जब जन्म के बाद रोता है तो इस प्रक्रिया के लिए कई महीनों तक वो माँ के गर्भ में इसके लिए तैयार है।



Source: National

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