कुंडली में बृहस्पति ग्रह की मजबूत स्थिति व्यक्ति को बनाती है धनवान और समृद्धशाली, इन उपायों से करें बलवान
Jupiter Planet: ज्योतिष अनुसार सौरमंडल में मौजूद सभी नौ ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर खास प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की मजबूत स्थिति व्यक्ति को शुभ परिणाम देती है वहीं अशुभ स्थिति जीवन परेशानियों से भर देती है। आज यहां हम बात करने जा रहे हैं बृहस्पति ग्रह के बारे में। ज्योतिष में इस ग्रह को सबसे शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। साथ ही बृहस्पति को देवताओं का गुरु भी कहा जाता है। जानिए कैसे इस ग्रह को मजबूत करके आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।
कुंडली में मजबूत बृहस्पति के लाभ:
-ज्योतिष शास्त्र अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत स्थिति में होता है वो व्यक्ति ज्ञान, अच्छे गुण, नौकरी में अच्छा पद, अच्छा आचरण, शास्त्रों को जानने वाला व सभी की उन्नति चाहने वाला होता है।
-ऐसा व्यक्ति अपनी इंद्रियों को वश में रखने वाला, धर्म को निभाने वाला और सभी को क्षमा करने वाला होता है।
-जिन महिलाओं की कुंडली में ये ग्रह मजबूत होता है वो महिलाएं अपने पति से सुख पाने वाली होती हैं।
कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मज़बूत करने के उपाय:
-गुरुवार के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
-नियमित रूप से पूजा अर्चना करें।
-बृहस्पतिवार के दिन दान करें।
-विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
-हल्दी, पीले फूल, केले और चने की दाल धार्मिक स्थान पर दान करें।
-27 गुरुवार तक केसर का तिलक लगाएं, पीले कपड़े या पीले कागज में केसर की पोटली बनाकर अपने पास रखें।
-किसी नदी या बहते हुए पानी में बादाम और नारियल किसी पीले कपड़े में लपेटकर प्रवाहित कर दें।
-पीपल के पेड़ को गुरुवार के दिन गुरु के बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाएं।
-वृद्ध ब्राह्मण को यथाशक्ति पीली वस्तुएं दान करें।
-बृहस्पतिवार का सच्चे मन से व्रत करें।
-केले के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं और उसकी पूजा करें।
-बृहस्पति को बलवान करने के लिए किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेकर बृहस्पति का रत्न पुखराज धारण कर सकते हैं। अगर पुखराज धारण करना संभव न हो तो उसकी जगह सुनेला भी धारण किया जा सकता है।
-बृहस्पति को मजबूत बनाने के लिए केले के जड़ या संतरे के जड़ को धारण करें।
-बृहस्पति के गायत्री एकाक्षरी बीज मंत्र ‘ॐ बृं बृहस्पतये नम:’ का जप करें।
बृहस्पति ग्रह के मंत्र:
1. बृहस्पति शांति ग्रह मंत्र-
देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
2. -ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।
3. -ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
4. ॐ ह्रीं नमः।
ॐ ह्रां आं क्षंयों सः ।।
5. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः!
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(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)
Source: Religion and Spirituality