सूर्य पुत्र हैं शनिदेव, लेकिन फिर भी दोनों के बीच है 36 का आंकड़ा, जानें इसकी वजह
शनिदेव को हमारे शास्त्रों में कर्म देवता अथवा न्यायाधीश कहा जाता है जो मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार फल देने के लिए जाने जाते हैं। शनिदेव के जन्म के बारे में भी कई कथा और मान्यताएं प्रचलित हैं। वैसे तो पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा कही जाती हैं, जबकि सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव को छायापुत्र के नाम से पुकारा जाता है। इसके साथ ही कहा जाता है कि शनिदेव और उनके पिता सूर्यदेव दोनों की कभी नहीं बनी। उनका आपस में 36 का आंकड़ा रहा है। तो आइए जानते हैं शनिदेव और सूर्य देव के ऐसे संबंध के पीछे की पौराणिक कहानी…
क्यों है सूर्यदेव और पुत्र शनिदेव के बीच 36 का आंकड़ा?
स्कंदपुराण की एक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। परंतु सूर्य देव का तेज ऐसा था कि वह उनकी पत्नी से बर्दाश्त नहीं हो पाता था। फिर समय बीतने पर सूर्य भगवान की तीन संतानें मनु, यमराज और यमुना हुई। लेकिन अभी भी संज्ञा सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं तो उन्होंने अपनी तपस्या के जरिए इसका एक रास्ता निकाला।
तब संज्ञा ने अपनी छाया को अपने जैसा ही रूप दिया और सभी जिम्मेदारियां उसे सौंप दी। छाया को सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं होती थी। फिर सूर्य भगवान और छाया की भी तीन संतानें हुईं जिनमें से एक शनिदेव थे। माना जाता है कि जब छाया ने गर्भधारण किया तो उन्होंने भगवान शिव की बिना अन्न व जल के कड़ी तपस्या की थी। इस तपस्या का असर गर्भ में पल रहे शनि पर हुआ और उनका रंग काला पड़ गया।
तत्पश्चात जब शनि का जन्म हुआ तो उनके काले रंग को देखकर सूर्यदेव गुस्सा हो गए। उन्होंने माता छाया तथा पुत्र शनि का खूब अपमान किया। इसके बाद अपने पिता के इस व्यवहार के कारण जैसे ही शनि देव की नजर सूर्यदेव पर पड़ी उनका भी रंग काला हो जाया जिससे पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया।
इससे व्यथित होकर भगवान सूर्य भोलेनाथ की शरण में गए। तब शिव जी ने सूर्यदेव को उनकी भूल का आभास कराया। इसके बाद सूर्यदेव ने अपने पुत्र शनि से माफी मांगी, तब जाकर सूर्यदेव के ऊपर से अंधेरा छटा और दोबारा उन्हें अपना रूप प्राप्त हुआ। लेकिन कहा जाता है कि इस दिन के बाद से ही दोनों के बीच का रिश्ता कभी नहीं सुधर पाया। और यही कारण है कि सूर्य देव और शनि के बीच 36 का आंकड़ा माना गया है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
यह भी पढ़ें: भगवान शिव के इस मंदिर में छिपा है अमरत्व का रहस्य, जानें क्या है पौराणिक कथा
Source: Religion and Spirituality