पूजा के अंत में बस इस एक मंत्र के जाप से बरसती है ईश्वर की कृपा, लेकिन इन बातों का रखें ख्याल
हिंदू धर्मशास्त्रों में सुबह-शाम पूजा-पाठ करने को बहुत महत्व दिया गया है साथ ही अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की भी विभिन्न नियम बताए गए हैं। मान्यता है की विधिपूर्वक पूजा करने से ही उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है और ईश्वर प्रसन्न होते हैं। लेकिन कई बार सभी नियमों का पालन कर पाना संभव नहीं होता और भूल-चूक हो ही जाती है। साथ ही हमें इस बात का ध्यान भी नहीं रहता। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि पूजा-पाठ के दौरान जानेअनजाने कोई गलती हो भी जाए तो पूजा के अंत में इस मंत्र के उच्चारण से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है…
पूजा के अंत में बोलें ये मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
अर्थ- इस मंत्र का अर्थ है कि, हे परमेश्वर! मेरे द्वारा दिन-रात हजारों अपराध होते रहते हैं। आप मुझे अपना दास समझकर मेरे उन अपराधों को क्षमा कर दीजिए। आपके दर्शनों से मेरे पापों, दुखों और दरिद्रता का नाश हो और मुझे सुख-संपत्ति की प्राप्ति हो, ऐसा वरदान दीजिए।
इन बातों का रखें ख्याल-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप किसी देवी की पूजा कर रहे हैं तो मंत्र में परमेश्वर के स्थान पर परमेश्वरी बोलकर मंत्र का उच्चारण करें।
किसी अन्य मंत्र के जाप या पाठ करने के अंत में भी इस मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है क्योंकि कई बार इस दौरान भी बोलने या पढ़ने में हमसे कोई न कोई भूल हो सकती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Source: Religion and Spirituality