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Ghaziabad : मंत्री जी की राह में टाट के कालीन… कहीं कीचड़ में गंदे न हो जाएं योगी के मंत्री संजय निषाद के कपड़े

सरकार भले ही कोई भी आ जाए, लेकिन मंत्रियों की हनक कभी कम नहीं होती। गाजियाबाद में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का दौरा था। इस दौरान उन्हें गाजियाबाद स्थित मसूरी झील का निरीक्षण करना था। इस झील में मछली पालन जैसे काम चल रहे हैं। मंत्री जी अपने लाव-लस्कर के साथ झील के पास पहुंचे। रास्ता कच्चा होने की वजह से उन्हें मजबूरन गाड़ी से उतरकर पैदल ही चलने की तैयारी करनी पड़ी। इस बीच बारिश शुरू होने की वजह से मंत्री जी का वीआईपी कल्चर देखने को मिला। मंत्री जी के आगे-पीछे तमाम लोग लगे दिखाई दिए। कीचड़ में टाट का कालीन बिछाते हुए उन्हें झील तक पहुंचाया गया, ताकि उनके कपड़े गंदे न हो जाएं। इसक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने दो दिन पहले गाजियाबाद का दौरा किया। जहां पर मछली पालन जैसे कार्यों के लिए तैयारी की जा रही है। मंत्री जी ने उसी झील का निरीक्षण करने का मन बनाया और वह झील की तरफ चल दिए। तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि मंत्री जी को झील तक ले जाने के लिए कितने लोग आगे-पीछे लगे हुए हैं। झील के रास्ते की हालत बेहद खराब है। उधर बारिश के कारण पूरे रास्ते में पानी भरा हुआ है। मंत्री जी के सफेद कुर्ते पायजामे पर गंदगी की कोई छींट ना लग जाए। इसके लिए मंत्री जी के आगे-पीछे कुछ लोग बोरी बिछाते हुए नजर आ रहे हैं।

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कालीन की तरह बिछाई जा रही थीं बोरियां

इन तस्वीरों को देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि मंत्री पद की हनक कैसी होती है। बड़ी बात यह है कि रास्ते की हालत इतनी खस्ता होने के बावजूद भी मंत्री जी का झील का निरीक्षण करना रद्द नहीं हुआ। उनके आगे पहले कालीन की तरह बोरी बिछाई जा रही थीं। जब वह आगे बढ़ जाते तो दूसरा शख्स पीछे से बोरी उठाता। उसके बाद फिर से मंत्री जी के आगे बोरी बिछाई जाती।

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वीआईपी कल्चर का विरोध करती है भाजपा सरकार

वहीं, एक कर्मचारी उनके लिए छाता पकड़े हुए साथ चल रहा था। पूरा रास्ते चलने के बाद मंत्री तो ठीक-ठाक मसूरी झील पर पहुंच गए, लेकिन अधिकारियों के कपड़े कीचड़ और बारिश के पानी से खराब हो गए। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब वीआईपी कल्चर को लेकर बीजेपी हमेशा विरोधी पार्टियों पर तंज कसती आई है, वहीं अब बीजेपी की सरकार में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।



Source: Education