गरुड़ पुराण से जानें, जीवनकाल में तिल समेत किन 10 चीजों का दान माना जाता है जरूरी
वैष्णव संप्रदाय के महापुराण गरुड़ पुराण में जन्म-मृत्यु के बहुत से रहस्यों के बारे में बताया गया है। वहीं सनातन धर्म में घर में किसी की मृत्यु के बाद गरुण पुराण के पाठ का भी विधान है। गरुड़ पुराण के अनुसार मरने के बाद किसी व्यक्ति की आत्मा शरीर से अलग होकर मोह के बंधन से छूट जाए इसके लिए अंतिम संस्कार के समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना गया है। तो आइए जानते हैं गरुण पुराण के अनुसार जीते-जी और अंतिम संस्कार के समय कौन सी बातें ध्यान रखनी चाहिए…
मृत्यु पूर्व करें इन 10 चीजों का दान
गरुण पुराण के मुताबिक मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके कर्म के अलावा कुछ भी उसके साथ नहीं जाता। इसलिए गरुड़ पुराण में एक मनुष्य को अपने जीवन काल में मरने से पहले ही तिल, स्वर्ण, नमक, 7 तरह के अनाज, जलपात्र, लोहा, रुई, भूमि और पादुका का दान करने की बात कही गई है। मान्यता है कि ये वस्तुएं यम मार्ग में मरने के बाद मनुष्य को प्राप्त होती हैं और उसकी आत्मा को कोई कष्ट नहीं मिलता।
दाह संस्कार के बाद घर लौटने पर क्या करें
गरुण पुराण में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि किसी के अंतिम संस्कार के बाद नीम या मिर्च को दातों से दबाकर तोड़ना चाहिए, फिर अपने हाथ-पैरों को भी अच्छे से पानी से धोना चाहिए। तत्पश्चात पानी, अग्नि, लोहा और पत्थर को स्पर्श करके ही घर के भीतर आना चाहिए। साथ ही गरुड़ पुराण में कहा गया है कि घर में किसी की मृत्यु के बाद उसके परिजनों को मृतक के लिए 11 दिनों तक अपने घर के बाहर शाम के वक्त दीपदान करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Source: Religion and Spirituality