नोएडा मेडिकल डिवाइस पार्क: इंतजार खत्म, प्लॉट के लिए आवेदकों की किस्मत का फैसला इस दिन
नोएडा में बन रहे मेडिकल डिवाइस पार्क (Medical Device Park) में प्लॉट के लिए आवेदन करने वाले 176 लोगों की किस्मत का फैसला 22 जुलाई को होगा। इसके लिए ड्रॉ निकालकर फैसला लिया जाएगा। जिसमें पहले फेज में 136 प्लॉट के लिए ड्रॉ निकाला जाएगा। जिसके बाद तय होगा कि 176 आवेदकों में से किसका नंबर आता है। बता दें कि मेडिकल डिवाइस पार्क नॉर्थ इंडिया का पहला पार्क है, जिसके लिए खुद केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये दिए हैं। इस पार्क को यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) के सेक्टर-28 में विकसित किया जाएगा। वहीं सुविधाओं की बात करें तो पार्क में सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी बड़ी बड़ी मशीनें भी लगाई जाएंगी। वहीं यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में मेडिकल उपकरणों का निर्माण करने के लिए मेडिटेक पार्क की डीपीआर कलाम ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी (केआईएचटी) हैदराबाद बना रहा है।
यह भी पढ़े – नोएडा में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों पर पुलिस का शिकंजा, उठाया सख्त कदम
कुल 350 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा पार्क
गौरतलब है कि लंबे समय से बन रहे मेडिकल डिवाइस पार्क का काम इस साल यूपी विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election) की वजह से रुक गया था। लेकिन अब इस काम में फिर से तेजी लाई गई है। वहीं अथॉरिटी से जुड़े अफसरों की मानें तो इस पार्क को सेक्टर-28 में कुल 350 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। जिसमें कुल 200 प्लॉट होंगे। उन्होंने बताया कि पहले फेज में 110 हेक्टेयर जमीन पर 136 प्लॉट का आवंटन किया जाएगा। जिसमें 1000 वर्गमीटर, 2000 और 4000 वर्गमीटर के प्लॉट आवंटित होंगे। जबकि दूसरे फेज में कुल 115 प्लॉट आवंटित करने की योजना है।
यह भी पढ़े – CM योगी के तोहफे पर राशन कोटेदारों ने जताई आपत्ति, कहीं ये बड़ी बात
पार्क में 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश
बता दें कि नोएडा में विकसित होने वाले इस पार्क में करीब 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। भारत में अभी 20 प्रतिशत मेडिकल उपकरण बनाए जाते हैं। बाकी 80 प्रतिशत आयात किए जाते हैं। इसीलिए इस निभर्रता को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने यह पहल की है। यहां पर मेडिकल उपकरण बनने से कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है। वहीं लोगों को भी काफी सुविधा मिलेगी। ऐसा इसलिए भी कि कोरोना महामारी के कारण बिगड़ते हालतों की वजह से देश में जो हालात सामने आए हैं, उसे देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने और चीन पर निभर्रता कम करने के लिए कवायद तेज की गई है। साथ ही मेडिकल उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Source: Education