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देव स्थान विभाग के मंदिर ही नहीं, खुद भी हो रहा दुर्दशा का शिकार

अलवर. देवस्थान विभाग के मंदिर ही दुर्दशा का शिकार नहीं हो रहे हैं बल्कि देवस्थान विभाग कार्यालय खुद भी दुर्दशा का शिकार हो रहा है। विभाग के पास बहुत से मंदिर हैं, जिनकी संपत्ति को किराए पर दिया जाता है। बहुत से मंदिर ऐसे हैं जिसके नाम की कृषि भूमि है जिससे विभाग के पास बहुत पैसा आता है, लेकिन इसके बाद भी देवस्थान विभाग आज तक अपने लिए अच्छा कार्यालय नहीं बना पाया है। सालों से देवस्थान विभाग का कार्यालय पुराने और जर्जर भवन में ही चल रहा है। जहां न साधन है और न ही सुविधाएं।
पानी व शौचालय की सुविधा नहीं : विभाग में पानी व शौचालय की सुविधाएं भी नहीं है। पानी लाने के लिए कर्मचारी भी नहीं है। पूर्व में महिला इंस्पेक्टर भी यहां रह चुकी हैं। वर्तमान में भी महिला कर्मचारी यहां कार्यरत है। सैकडों ऐसे मंदिर हैं जिनमें महिलाएं पुजारी हैं, मंदिरों के काम के चलते इन महिलाओं को भी कार्यालय में आना पडा है।
कार्यालय का नाम तक नहीं मिलता
देवस्थान विभाग इतना उदासीन है कि दूर- दूर तक कार्यालय का नाम तक नहीं लिखवाया गया है। इसको खोजना मुश्किल है। यह महल चौक परिसर में बने एक सुनसान खंडहर और जर्जर भवन में चल रहा है। यहां दूर तक कोई नजर नहीं आता है। इस कार्यालय में जाने के लिए जिन सीढियों से गुजरना पड़ता है, उनकी हालत इतनी खस्ता है कि बारिश के दिनों में तो यहां से चूना और पत्थर निकलता ही है, सामान्य दिनों में भी यहां आना मुश्किल है। बारिश के दिनों में निचले परिसर में पानी भरने से कीचड़ हो जाता है।

उपयुक्त जगह नहीं मिली
कार्यालय को यहां से बदलने पर कई बार विचार किया है लेकिन उपयुक्त जगह नहीं मिली, अब कलक्ट्रेट के सचिवालय में स्थानांतरित होने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें कार्यालय के लिए भी भवन मिल सकता है।
महेंद्र देवतवाल, सहायक आयुक्त , देवस्थान विभाग, अलवर।



Source: Education