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भाई की कलाई पर राखी बांध बहनों की छलकी आंखें

अजमेर. रक्षाबंधन पर अपनी कलाई पर बहन का रक्षा सूत्र देखकर जेल की सलाखों के पीछे बैठे भाइयों का दिल भी पसीज उठा। बहनों की आंखों से अश्रुधारा बहती देखकर भाई भी खुद को नहीं रोक सके। जहां बहनों ने भाइयों की रिहाई की कामना की तो भाइयों ने बहनों को सुख और समृद्धि की प्रार्थना की।

गुरुवार को अजमेर सेन्ट्रल जेल व हाई सिक्योरिटी जेल में कोविड-19 संक्रमण के दो साल बाद बहनों ने अपने बंदी भाइयों की कलाई पर राखी सजाई। सेन्ट्रल जेल परिसर में मुख्यद्वार पर बंदी भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के इंतजाम किए गए थे। बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर मिठाई खिलाई। राखी बांधने व मिठाई खिलाने के दौरान भाई-बहनों की आंखें छलक उठी।

भाई की कलाई पर राखी बांध बहनों की छलकी आंखें

लाडली घर की छात्राओं ने बांधी राखी

शास्त्रीनगर स्थित लाडली घर ‘दृष्टि बाधित छात्रावास’ की बालिकाओं ने भी अजमेर सेन्ट्रल जेल के बंदियों के राखी बांधी। इस अवसर पर छात्रावास के संचालक कृष्णानंद महाराज ने बताया कि छात्राएं 4 माह से जेल में बंदी भाइयों को राखी बांधने की तैयारी में जुटी थी। लाडली घर आश्रम से कृष्णा अमृता, इन्दरसिंह, कपिल पाराशर, कृष्ण नंदिनी, प्रतिमा पाराशर आदि मौजूद रहे।

जेल में प्रोटोकॉल की पालना

जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि बहनों की वैक्सीनेशन रिपोर्ट देखने के बाद ही जेल प्रशासन ने बहनों को बंदियों के राखी बांधने की अनुमति दी। वहीं जेल प्रशासन ने आरएसी के जाप्ता सुरक्षा में तैनात था। बंदियों दिए जाने वाली खाद्य सामग्री की जांच-पड़ताल के बाद अन्दर भेजने की व्यवस्था थी।‘काश, हमारा भाई साथ होता’

लड़ाई-झगड़े के मामले में भाई जेल में है। काश भाई श्रवण घर होता। उसको 9 माह बाद जेल की सलाखों के पीछे देखना अच्छा नहीं लगा।

खेता देवी, बहन

हत्या के मामले में 3 माह पहले भाई राहुल जेल चला गया। तीन माह बाद भाई को देखा तो अच्छा नहीं लगा। चार बहनों में इकलौता भाई है। काश वो जल्द जेल से रिहा हो जाए।

रचना, मेड़ता सिटी



Source: Lifestyle

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