शादी से जुड़े केसों में एक साल में 1362 लोग हारे जिंदगी, मध्यप्रदेश नंबर-1
मनीष कुशवाह
भोपाल। जीवन में आई परेशानियों से हार कर लोग जान दे रहे हैं। मध्यप्रदेश में आत्महत्या करने वालों की संख्या एक साल में 2.7 फीसदी बढ़ गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में वर्ष 2021 में कुल 14,965 लोगों ने आत्महत्या की। ये देशभर में हुईं कुल 1,64,033 आत्म हत्याओं का 9.1 फीसदी है।
चिंताजनक: 2021 में शादी-विवाह संबंधी मामलों के चलते मध्यप्रदेश में सबसे अधिक लोगों ने जान दी। तनाव में आकर 1,362 लोगों ने खुदकुशी की। इनमें 871 महिलाएं व 491 पुरुष हैं। नशे की लत की वजह से प्रदेश में 1,634 लोगों ने खुद की जान ली, जबकि महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 2818 था। 1966 मामलों ऐसे भी हैं, जिनमें वजह का पता नहीं चल सका है। इनमें 1436 पुरुष और 530 महिलाएं थीं। दहेज संबंधी मामलों में आत्महत्या करने वालों की संख्या मध्यप्रदेश में सबसे अधिक है। यहां एक साल में 521 लोगों ने जान दी। इनमें 505 महिलाएं तो 16 पुरुष थे। सूबे में 3,132 लोगों ने बीमारी से तंग आकर खुदकुशी की।
चार बड़े शहरों में आत्महत्या के मामले
भोपाल में वर्ष 2021 में 566 लोगों ने आत्महत्या की। 2020 में आंकड़ा 416 था। राजधानी में आत्महत्या के मामलों में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
इंदौर में वर्ष 2021 में 737 मामले आए। वर्ष 2020 में ये संख्या 644 थी। यहां आत्महत्या के 14.4 फीसदी केस बढ़े हैं।
ग्वालियर में वर्ष 2021 में 320 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि वर्ष 2020 में संख्या 293 थी। यहां 9.2 फीसदी केस बढ़े हैं।
जबलपुर में आत्महत्या के मामलों में 11.6 फीसदी की कमी दर्ज हुई। यहां वर्ष 2021 में 214 केस आए, जबकि वर्ष 2020 में ये आंकड़ा 242 था।
कारण महिला पुरुष खुदकुशी के कुल केस
कारण | महिला | पुरुष | खुदकुशी के कुल केस |
पारिवारिक विवाद
|
1252 | 2439 | 3691 |
बीमारी के कारण | 1050 | 2082 | 3132 |
नशे की वजह से | 81 | 1553 | 1634 |
वैवाहिक विवाद | 871 | 491 | 1362 |
दहेज प्रताड़ना | 505 | 16 | 521 |
विवाहेत्तर संबंध | 93 | 128 | 221 |
प्रेम प्रसंग | 234 | 401 | 637 |
कारण नहीं पता | 530 | 1436 | 1966 |
नपुंसकता-बांछपन | 37 | 23 | 60 |
अपनों के गम में | 85 | 142 | 227 |
2021 में टॉप-3 राज्य
राज्य कुल खुदकुशी
महाराष्ट्र 22,207
तमिलनाडु 18,925
मध्यप्रदेश 14,965
आत्महत्या के मामले में मप्र देश में तीसरे पायदान पर है। वर्ष 2020 में आत्महत्या के 14578 केस दर्ज किए गए थे।
एकल परिवार और एक दूसरे से संवादहीनता के कारण अवसाद के मामले बढ़े हैं। एक-दूसरे से बात होने से समस्याओं का समाधान संभव है। पारिवारिक विवाद में लोग पुलिस या अन्य लोगों से मिलते हैं, लेकिन आपस में बात करने से बचते हैं। गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी मानसिक सहानुभूति की जरूरत है। ये साथ उन्हें अपनों से ही मिलेगा।
-डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक
Source: Education