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Assembly Elections 2022: EC के फैसले पर उठ रहे ये बड़े सवाल, हिमाचल के साथ गुजरात चुनाव का क्यों नहीं हुआ ऐलान

Assembly Elections 2022: चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रदेश में एक फेज में चुनाव होगा। यहां 12 नवंबर को वोटिंग होगी, वहीं 8 दिसंबर को नतीजों का ऐलान होगा। हालांकि हर कोई उम्मीद की जा रही थी कि आयोग हिमाचल के साथ ही गुजरात विधानसभा चुनावों का भी ऐलान करेगा। लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा नहीं हुआ। अब इसको लेकर विपक्षी नेता चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठा रहे है।

कांग्रेस ने बताया नियमों का उल्लंघन

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और बड़े वादे करने का समय मिल गया है। उन्होंने इसे नियमों का उल्लंघन बताया है। जयराम ने कहा कि दो राज्यों में अगर विधानसभा का कार्यकाल छह महीने के अंदर खत्म होता है तो चुनाव एक साथ कराए जाते हैं और परिणाम भी साथ घोषित होना चाहिए।

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चुनाव आयोग ने दी सफाई

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने किसी तरह से भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। दोनों ही राज्यों के विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में 40 दिन का अंतर है। नियम के अनुसार, दोनों राज्यों में 30 दिन का हो ताकि एक के परिणाम का असर दूसरे पर ना हो। उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले सभी प्रकार की बातों का ध्यान रखा गया है। आयोग ने कहा कि हिमाचल पहाड़ी क्षेत्र है, ऐसे में बर्फबारी से पहले चुनाव होने चाहिए। उन्होंने कहा नियमों का उल्लंघन होने वाली बात बिल्कुल गलत है।

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EC के फैसले पर उठ रहे ये पांच बड़े सवाल

1. विपक्ष ने चुनाव आयेाग पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात विधानसभा चुनाव का ऐलान क्यों नहीं किया। क्योंकि दोनों राज्यों में मौजूदा सरकार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसलिए आयोग को हिमाचल के साथ गुजरात चुनाव की तारीखों का भी ऐलान करना चाहिए था।
2. कांग्रेस नेता आलोक शर्मा ने कहा कि गुजरात चुनावों की तारीखों की घोषणा में जानबूझ कर देरी की जा रही है। क्योंकि मौजूदा सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले और ज्यादा कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करने का मौका मिल सके।

 

3. पिछली बार यानी 2017 में हुए चुनाव पर बात करते हुए विपक्ष ने कहा कि जब हिमाचल में चुनाव की तारीखों का एलान 13 अक्टूबर और गुजरात का चुनाव 12 दिन बाद 25 अक्टूबर को घोषित किया गया था। तब बाढ़ की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया था। आयोग ने यह भी कहा था कि ऐसा केवल एक ही बार किया जा रहा है।

4. साल 2012 में एक साथ चुनावों की घोषणा हुई थी। इसके बाद 2017 में केवल असाधारण स्थिति का हवाला देते हुए अलग-अलग समय पर चुनावों कराए गए थे। विपक्ष का कहना है कि गुजरात में पीएम मोदी की तमाम रैलियों और सभाओं को लेकर पहले से ही योजना बना दी गई है। विपक्ष ने पीएम मोदी की 31 अक्टूबर की रैली को लेकर तमाम सवाल खड़े किए हैं।

5. विपक्ष का कहना है कि गुजरात में पीएम मोदी की सभी रैलियां खत्म होने और योजनाओं का उद्घाटन करने के बाद आयोग को चुनाव की तारीखों का एलान करने के लिए कहा जाएगा।



Source: National

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