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कलेक्टर का निर्देश हवा, कुछ फोटो भेजकर रह गए अधिकारी, नतीजा फिर 15 गांयों को रौंंदा

ब्यावरा. तमाम प्रकार की सख्ती, प्रशासनिक हस्तक्षेप, व्यवस्थाओं के बावजूद जिले में गौ-संरक्षण की स्थिति दयनीय है। गुरुवार आधी रात को फिर गुना बाइपास पर हुए दिल दहला देने वाले हादसे में 15 गायों की मौत हो गई। एक केबाकू ट्रक ने सोती हुई गायों को रोंद डाला और मौके से भाग निकला।

दरअसल, अभी तक सैंकड़ों गाय हादसों का शिकार हो चुकी हैं लेकिन हादसे थमने का नाम नहीं ले रही है। करीब महीनेभर पहले इस समस्या से निपटने कलेक्टर निधि निवेदिता द्वारा दिए गए निर्देश भी हवा हो गया। राजस्व, नपा सहित अन्य जिन कर्मचारियों को रोड पर घूमकर गायों के झूंड को भगाना था उनके फोटो जिला अधिकारियों को भेजना थे वह कुछ ही दिन चलकर रह गया। नतीजा यही हुआ कि फोरलेन से गुजरने वाले वाहन चालक बेफिक्र हो गए, रात के अंधेरे में कुछ समझ नहीं पाए और बुजबान गाय हादसे का शिकार हो रही है। इस पर कोई ठोस व्यवस्था जिला प्रशासन नहीं बना पाया है और हर दिन हादसा हो रहा है।

बगल में चौकी, नहीं था कोई पुलिसकर्मी, हाईवे की लापरवाही भी
जगह-जगह मृत अवस्था में पड़ी गाय रातभर रोड पर ही पड़ी रहीं, उन्हें उठाने न पुलिस रात में पहुंच पाई न ही एनएचआई का 1033 या अन्य इमरसेंजी वाहन। जबकि हाईवे से जुड़े तमाम हादसों से निपटने निर्माण एजेंसी या हाईवे अथोरिटी को पहुंचना होता है। लापरवाही का आलम यहीं खत्म नहीं होता, जिस जगह 15 गाय हादसे का शिकार हुई उससे चंद कदम दूर अरन्या चौकी है लेकिन वहां कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। पुलिस के पास तर्क है कि नवरात्री महोत्सव शुरू हो गया। यदि समय पर पुलिस तैनात रहती और गश्त की होती तो शायत बेजुबान गाय हादसे का शिकार नहीं होतीं।

हाईकोर्ट के निर्देश- एसपी-कलेक्टर होंगे जिम्मेदार?
हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने हाल ही में राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अवारा मवेशियों के कारण हो रहे हादसे पर सरकार काम नहीं कर पा रही है, कोई ठोस कानून नहीं बना पाई। उन्होंने चिंता जताई कि रोड पर मवेशियों के कारण हादसे हो रहे हैं जिस पर कोई नियंत्रण किसी का नहीं है। चार माह के भीतर आवारा मवेशियों की धमाचौकड़ी रोकने ठोस कानून बाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि फिर भी हादसे नहीं रुके तो सभी विभागों के प्रमुख सचिवों को अमवमानना की कारवाई का सामना करना होगा। वहीं, इसके लिए जिले के कलेक्टर, एसपी और निगमायुक्त (सीएमओ) जिम्मेदार होंगे।

 

अधिवक्ता सतीश वर्मा ने अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सड़कों पर अवारा मवेशी धमाचौकड़ी नहीं रुकी। बता दें कि जिला स्तर पर पुलिस ने कुछ दिन रोड पर बैठने वाले मवेशियों के सींग पर रेडियम लगाए लेकिन वह भी दो-चार दिन फोटो सेशन तक सीमित रह गए। वहीं, कलेक्टर ने अधिकारी, कर्मचारियों की ड्यूटी गायों को हटवाने के लिए लगाई लेकिन वह भी काम नहीं आया।

संभालने के बजाए रोड पर लाकर छोड़ रहे गाय
बेशर्म हो चुके गौ पालक इतने हादसों के बावजूद सबक नहीं ले रहे हैं। उल्टा गांवों और आस-पास के क्षेत्रों से लाकर उन्हें शहरी क्षेत्र की बाउंड्री तक लाकर छोड़ दिया जाता है जिससे वे हर दिन हादसे का शिकार हो रही हैं। ऐसे विभत्स हादसे को देख हर कोई आक्रोशित है, सभी में गुस्सा है, लेकिन किसी के खिलाफ यह स्पष्ट नहीं? न ही वे खुद आगे आने को तैयार हैं, इसी कारण इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

शिफ्ट में लगाई है अब ड्यूटी
हमने एनएचएआई से बात की है कि वे बी पूरे समय गश्त करें, व्यवस्था करें। साथ ही नगर पालिका के चार-चार कर्मचारियों की ड्यूटी अलग-अलग टाइम शेड्यूल में लगाई है। जहां तक बात गायों को भगाने के निर्देश का है तो वह जब तक जारी है तब तक कि समस्या खत्म नहीं हो जाती।
-रमेश पांडे, एसडीएम, ब्यावरा



Source: Education