श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब का दो घंटे चला नार्को टेस्ट, कई राज खुले
श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का आज रोहिणी के अंबेडकर अस्पताल में नार्को टेस्ट किया गया। दो घंटे के नार्को टेस्ट में आफताब ने कई सवालों का जवाब बेबाकी से दिया। आफताब ने कई सवालों के उत्तर अंग्रेजी में दिए। ऐसा बताया जा रहा है कि, आफताब ने नार्को टेस्ट में श्रद्धा के मर्डर की बात कबूल की है। श्रद्धा के मोबाइल और कपड़े कहां फेंके आफताब ने ये भी बता दिया। उसने श्रद्धा के शव के टुकड़े करने में किस हथियार का प्रयोग किया और उन्हें कहां फेंका इसकी जानकारी भी दे दी। दिल्ली पुलिस के पास अब यह चुनौती है कि, आफताब की बताई जगह से इन सबूतों कैसे ढूंढ़ निकलती है। इससे पूर्व आफताब का 20 घंटे का पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ।
आवश्यकता पड़ी तो पोस्ट नार्को टेस्ट होगा
रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) सहायक निदेशक संजीव गुप्ता ने बताया कि, आज FSL की टीम और अंबेडकर अस्पताल की टीम ने मिलकर नार्को टेस्ट कर लिया है। टेस्ट 2 घंटे से ज्यादा देर तक चला था। अगर आवश्यकता पड़ी तो पोस्ट नार्को टेस्ट किया जा सकता है। आज टेस्ट के सभी पैरामीटर पूरे किए गए हैं।
एक्सपर्ट होंगे शामिल
फोरेंसिक साइंस लैब रोहिणी सहायक निदेशक संजीव गुप्ता ने कहाकि, टीम में फोरेंसिक लैब रोहिणी के मनोवैज्ञानिक, फोटो विशेषज्ञ और अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर शामिल थे।
जल्द ही रिपोर्ट सौंपेंगे
FSL सहायक निदेशक संजीव गुप्ता ने आगे बताया कि, नार्को टेस्ट तब होता है जब सभी पैरामीटर पूरे होते हैं, सभी पैरामीटर पूरे होते हैं। जरूरत पड़ने पर पोस्ट-नार्को टेस्ट किया जाता है। नार्को की जांच और प्रक्रिया जारी है, हम जल्द ही रिपोर्ट सौंपेंगे। मामले को प्राथमिकता पर लिया गया है।
कोर्ट में पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट का कोई मततलब नहीं
श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब का पॉलीग्राफी हो गया और नार्को टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है। कानून के जानकारों के अनुसार कोर्ट में इन दोनों टेस्ट का कोई मतलब नहीं है। बस पुलिस को सुबूत ढूंढ़ने में मदद मिलेगी।
श्रद्धा मर्डर केस क्या है जानें
श्रद्धा और आफताब की मुलाकात 2018 में डेटिंग ऐप ‘बंबल’ के जरिए हुई थी। वे 8 मई को दिल्ली आए थे और 15 मई को छतरपुर इलाके में शिफ्ट हो गए थे। 18 मई को, आफताब ने कथित तौर पर श्रद्धा की हत्या कर दी और उसके शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिया और 18 दिनों की अवधि में शरीर के अंगों को विभिन्न स्थानों पर फेंक दिया।
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Source: National