मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022: इस पूर्णिमा कैसे करें व्रत और पूजा साथ ही जानें इसके फायदे
Purnima vrat, puja vidhi and its profit : पूर्णिमा तिथि (Purnima) को सनातन धर्म में एक विशेष दर्जा प्राप्त है। इस दिन सनातन धर्मावलंबी पवित्र जल में स्नान करने के अलावा भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। दरअसल हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के हर माह में आने वाली तिथि को उस माह का आखिर दिन माना जाता है। ऐसे में इस बार हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के नौवें माह यानि मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि (Purnima) की शुरुआत 07 दिसंबर, दिन बुधवार को सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर होगी। जबकि इस तिथि का समापन गुरुवार, 08 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर होगा। मार्गशीर्ष में आने वाले पूर्णिमा (Purnima) की ये तिथि मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहलाती है। तो चलिए जानते हैं कि पूर्णिमा (Purnima) का व्रत कैसे किया जाता है और इसके कौन से फायदे माने गए हैं।
दरअसल हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के एक महीने में एक ही पूर्णिमा आती है और पूर्णिमा के दिन चांद अपने पूर्ण आकार में होता है। पूर्णिमा (Purnima) शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन होता है, इसके बाद अगले हिंदू माह का कृष्ण पक्ष शुरू हो जाता है। पूर्णिमा (Purnima) का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है कई लोग तो इस दिन व्रत भी करते हैं, क्योंकि पूर्णिमा (Purnima) का व्रत रखना काफी फायदेमंद माना जाता है।
माना जाता है कि इस व्रत को रखकर जातक अपनी बहुत सी मनोकामनाओं को तक पूर्ण कर सकता है। तो चलिए अब जानते हैं पूर्णिमा व्रत रखने के फायदे और इस दिन किस तरीके से किया जाता है व्रत…
ऐसे करें पूर्णिमा व्रत (व्रत रखने की विधि)
– पूर्णिमा के व्रत वाले दिन सुबह समय से उठकर तैयार हो जाएं। घर में यदि गंगाजल है तो आप नहाने से पूर्व थोड़ा सा गंगाजल लेकर उसके बाद उसमें सामान्य शुद्ध जल जरूरत के अनुसार मिला लें। माना जाता है कि ऐसा करने से सामान्य जल भी पवित्र हो जाता है, इसका कारण ये है कि इस व्रत के दिन पवित्र जल में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
– इसके पश्चात मंदिर साफ करके मंदिर में भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
– पूजा में भगवान को रोली, मौली, चन्दन, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें।
– फिर व्रत कथा पड़ें और आरती करें।
– वैसे तो दिन में फलाहार की मनाही नहीं है लेकिन, व्रत खोलने के लिए आपको चांद का इंतज़ार करना पड़ता है। वहीं चांद निकलने के बाद चांद को अर्ध्य दिया जाता है, अब इसके बाद आप व्रत खोल सकते हैं।
पूर्णिमा का व्रत रखने के फायदे (मान्यताओं के अनुसार)
ज्योतिष में चंद्र को मन का कारक माना गया है। ऐसे में जो कोई भी पूर्णिमा का व्रत रखना है उसे बहुत से फायदे मिलते हैं साथ ही आप अपने मन की किसी इच्छा की पूर्ति को लेकर भी पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं। तो आइये अब जानते हैं की पूर्णिमा का व्रत रखने से कौन कौन से फायदे मिलते हैं।
मजबूत होगा कुंडली में चन्द्रमा
कई जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर या नीच का होता है या फिर कुंडली में चंद्र दोष होता है। ऐसे में माना जाता है कि जो जातक पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उनकी कुंडली में इससे चन्द्रमा की स्थिति को मजबूती मिलने के साथ ही चंद्र दोष से निजात पाने में भी मदद मिलती है।
मानसिक रूप से मजबूती मिलती है
मानसिक रूप से परेशान जातक हमेशा किसी न किसी बात को लेकर चिंता करते रहते हैं। ऐसे जातक बहुत ज्यादा डरते हैं, साथ ही किसी बात का निर्णय नहीं ले पाते हैं। माना जाता है कि ऐसे जातकों के लिए पूर्णिमा का व्रत काफी फायदेमंद होता है और पूर्णिमा का व्रत रखने से इन्हें मानसिक रूप से मजबूती मिलती है।
वैवाहिक जीवन को बेहतर करता है
कई बार वैवाहिक जीवन में कलेश रहता है, जिसके चलते जातक वैवाहिक जीवन के सुख का अनुभव नहीं कर पाता, ऐसे में इन जातकों के लिए भी पूर्णिमा का व्रत काफी फायदेमंद माना गया है। इसका कारण यह है कि कहा जाता है कि पूर्णिमा का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन को बेहतर करने में मदद मिलती है।
पारिवारिक कलह का अंत होता है
कई घरों व परिवारों में नेगेटिव एनर्जी के चलते पारिवारिक कलह होता रहता है। जानकारों के अनुसार ऐसे जातकों को पूर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए। इसका कारण ये माना जाता है कि पूर्णिमा के व्रत से घर की नेगेटिविटी को दूर करने में मदद मिलती है, जिसके कारण घर के सदस्यों में परस्पर प्रेम की भावना बनी रहती है।
Source: Religion and Spirituality