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Sant Ravidas Jayanti 2023: संत रविदास से जुड़ीं कहानियां, जिन पर लोगों की है गहरी आस्था

जब रविदास के लिए प्रकट हुईं गंगा मैया: एक कथा के अनुसार संत रविदास आजीविका के लिए जूते बनाते थे, लेकिन इसे भी उन्होंने धन कमाने की जगह सेवा का माध्यम बना लिया। जो भी संत फकीर उनके द्वार पर आते, वो उन्हें बिना पैसे लिए जूते पहना देते। इससे घर का खर्च चलाना मुश्किल होने लगा। इससे उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर थोड़ी से जमीन देकर अलग कर दिया, यहां संत रविदास ने कुटिया बनाई और वहीं रहकर संतों की सेवा करते और जो कुछ बच जाता उससे गुजारा करते।

एक दिन एक ब्राह्मण उनके यहां आया, उसने कहा कि गंगा स्नान करने के लिए जा रहा हूं एक जूता चाहिए। संत रविदास ने उसे बिना पैसे लिए जूता दे दिया और एक सुपारी ब्राह्मण को दिया, कहा कि इसे मेरी ओर से गंगा मैया को दे देना। जब ब्राह्मण गंगा स्नान के बाद पूजा कर चलने लगा तो उसने अनमने ढंग से संत रविदास की दी सुपारी गंगा में उछाल दी।

इस पर एक चमत्कार हुआ, गंगा मैया प्रकट हुईं और सुपारी हाथ में ले ली। साथ ही एक सोने का कंगन ब्राह्मण को दिया। कहा कि इसे रविदास को दे देना।

इस घटना से ब्राह्मण भाव विभोर हुआ, उसने संत रविदास से कहा कि आपके कारण मुझे गंगा मैया के दर्शन हुए। आपकी भक्ति के प्रताप से माता ने आपकी सुपारी स्वीकार की।

धीरे-धीरे यह खबर पूरी काशी में फैल गई। इस पर कई विरोधी एकजुट हो गए और कहा कि यह कहानी पाखंड है। संत रविदास सच्चे भक्त हैं तो दूसरा कंगन लाकर दिखाएं। इस पर संत रविदास भजन गाने लगे, कुछ देर बाद जिस कठौत के पानी से संत रविदास चमड़ा साफ करते थे, उससे गंगा मैया प्रकट हुईं और दूसरा कंगन भेंट किया। इससे विरोधियों का सिर नीचा हो गया। इसके बाद से प्रसिद्ध हो गया, जौ मन चंगा त कठौती में गंगा।

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महिला की आंखों में आ गई रोशनीः संत रविवदास का एक और चमत्कार लोगों में प्रसिद्ध है। कहा जाता है संत रविदास के जन्म के समय उनकी माता के पास एक महिला खड़ी थी। इस महिला की आंखों में रोशनी कम थी, लेकिन संत रविदास के जन्म के समय हुई रोशनी से उसकी आंखें ठीक हो गईं।

खिलौने में आ गई जानः किंवदंती है कि संत रविदास के फूफा ने बच्चों के खेलने के लिए एक चमड़े का खरगोश बनाया था। एक बार संत रविदास ने इस खरगोश को तीन बार पैर से धकेल दिया तो उस खरगोश में जान आ गई। वह घर से बाहर चला गया।



Source: Dharma & Karma