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Holaashtak Date होलाष्टक कब से हो रहे हैं शुरू, इन दिनों में भूलकर भी न करें ये काम, वरना होंगे परेशान

 

Holaashtak Date सनातन धर्म में होलाष्टक को विशेष महत्व दिया गया है। होली के आठ दिन पहले हर साल होलाष्टक के दिन लगते हैं। इन आठ दिनों का समय अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। फिर चाहे वह मांगलिक कार्य विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश के साथ ही कोई भी नया काम हो, इन दिनों में इन कार्यों को करना वर्जित माना गया है। पत्रिका.कॉम इस लेख में आपको बता रहा है कब से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक साथ ही ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा आपको बता रहे हैं इन दिनों में क्यों नहीं करने चाहिए शुभ कार्य की शुरुआत…

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यहां जानें कब शुरू हो रहे हैं होलाष्टक Holaashtak Date
होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं और फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ खत्म हो जाते हैं। इस साल होलाष्टक 28 फरवरी 2023 से शुरू हो रहे हैं। इनका समापन 7 मार्च 2023 को होलिका दहन पर हो जाएगा। इसके बाद ही 8 मार्च 2023 को होली खेली जाएगी।

 

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यहां जानें होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य Holaashtak Date
दरअसल होलाष्टक के समय सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र होता है। ग्रहों की यह स्थिति किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान कोई मांगलिक कार्य करता है तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह भी हो सकता है कि वह कार्य अधूरा ही रह जाए। यही नहीं माना जाता है कि इन दिनों में शुभ कार्य करने से जीवन में बीमारी, क्लेश और यहां तक की अकाल मृत्यु का साया भी मंडराता है।

 

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जानें होलाष्टक से जुड़ी कथा Holaashtak Date
पौराणिक कथा के अनुसार होलिका दहन से 8 दिन पहले यानी भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत प्रताडि़त किया था। प्रह्लाद को श्रीहरि की भक्ति से दूर करने के लिए हिरण्यकश्यप ने उन्हें सात दिन तक कई यातनाएं दी थीं। आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने अपनी गोद में बैठाकर प्रह्लाद को भस्म करने की कोशिश की, विष्णु का भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका उस आग में जलकर मर गई।

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होलाष्टक के इन दिनों में भूलकर भी न करें ये काम Holaashtak Date

– शास्त्रों में कहा गया है कि इन दिनों में 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिएं।

– इन आठ दिनों में हवन और यज्ञ करने की भी मनाही है।

– यदि नौकरी में बदलाव या फिर कोई नया निवेश या बिजनेश शुरू करना चाह रहे हैं तो इन दिनों में यह कार्य भी वर्जित माने गए हैं।

– होलाष्टक की अवधि में मकान निर्माण का कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

– माना जाता है कि होलाष्टक के समय में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से भी बचना चाहिए।



Source: Dharma & Karma